महाराष्ट्र की पठारी भूमि और सह्याद्रि श्रृंखला पर स्थित किले अपनी साहसिकता, इतिहास और विशिष्ट स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं। उनमें से एक हरिहर किला है और इसका दूसरा नाम हरिहरगड है। यह खंडहर नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर श्रृंखला पर स्थित है और ट्रेकिंग फैंस के लिए यह एक आकर्षक और चुनौतीपूर्ण गतिविधि प्रदान करता है।
हरिहर किले की सबसे विशेष बात है इसकी 90 डिग्री सीधी सीढ़ियाँ, जिनमें चढ़ना एक दद्दार अनुभव है। यही वजह है कि यह ट्रेक महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ट्रेक्स में शामिल है।

हरिहर किले का इतिहास
हरिहर किला 1636 में मुगलों और अहमदनगर सल्तनत के बीच हुए युद्धों के दौरान महत्वपूर्ण रहा। बाद में मराठा साम्राज्य के अधीन चला गया। यह किला मुख्य रूप से नासिक और त्र्यंबकेश्वर के लंबे व्यापारिक मार्ग की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।
शिल्पकला जो शिलालेखों पर बनी हुई है और जो किले के प्रवेश द्वार और सीढ़ियों पर है, आज भी उस समय के स्थापत्य कौशल का प्रमाण देती है।
हरिहर किले तक कैसे पहुँचे?
निकटतम शहर
नासिक (40 किमी)
निकटतम रेलवे स्टेशन
नासिक रोड
निकटतम हवाई अड्डा
नासिक एयरपोर्ट
बेस विलेज
नीरगुडपाडा
नासिक से बस या टैक्सी के द्वारा नीरगुडपाडा तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ से हरिहर किले का ट्रेक शुरू होता है।
ट्रेकिंग का अनुभव
ऊँचाई हरिहर किले की लगभग 3676 फीट (1120 मीटर) है। नीरगुडपाडा से ट्रेक करने के बाद घने जंगलों, छोटे-छोटे झरनों और पगडंडियों से होते हुए किले तक जाना पड़ता है।
सबसे रोमांचक पार्ट है किले की प्रसिद्ध सीढ़ियाँ – ये सीढ़ियाँ लगभग 200 हैं और लगभग 80 से 90 डिग्री सीधी हैं। इन्हें चढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे आप सीधे आसमान की ओर जा रहे हों।
ऊपर जाने पर आपको नासिक और इगतपुरी की पहाड़ी श्रृंखलाओं का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
हरिहर किले की ख़ास बातें
सीधी सीढ़ियाँ
किले की सबसे बड़ी खासियत।
गुफाएँ और पानी की टंकियाँ
प्राचीन समय में सैनिकों के रहने और पानी इकट्ठा करने के लिए।
ऊपरी भाग से दृश्य
त्र्यंबकेश्वर पहाड़ी और सह्याद्रि की सुंदरता।
फोटोग्राफी पॉइंट्स
साहसिक और प्राकृतिक दृश्यों के लिए ख़ूबसूरत स्थान।
ट्रेकिंग के लिए आवश्यक तैयारी
आरामदायक और मजबूत जूते पहनें।
पर्याप्त पानी और हल्का भोजन साथ रखें।
बरसात के मौसम में सावधानी बरतें, क्योंकि सीढ़ियाँ फिसलन भरी हो जाती हैं।
समूह में ट्रेक करना बेहतर होता है।
जिन लोगों को ऊँचाई से डर लगता है, उन्हें थोड़ा मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
हरिहर किला घूमने का सही समय
हरिहर किला घूमने के लिए जुलाई से फरवरी का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
मानसून (जुलाई – सितंबर)
हरियाली और झरनों का अद्भुत अनुभव।
सर्दियाँ (अक्टूबर – फरवरी)
ट्रेकिंग के लिए आदर्श मौसम।
हरिहर किले का आध्यात्मिक महत्व
चूँकि यह किला त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र में है, इसलिए यहाँ का वातावरण आध्यात्मिकता से भी जुड़ा हुआ है। ट्रेकिंग के अलावा यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने की भी संपूर्ण सुविधा प्रदान करता है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
निष्कर्ष
हरिहर किला ट्रेकिंग जैसा एक अनुभव है, जहां रोमांच, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य तीनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। चाहे आप ट्रेकिंग के शौकीन हों या ऐतिहासिक किलों के प्रेमी, हरिहर का अनुभव आपको जीवनभर याद रहेगा।
यदि आप हरिहर किला घूमने जा रहे हैं, तो पास ही स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर भी अवश्य जाएँ। यह मंदिर केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ कई लोग कालसर्प दोष निवारण पूजा कराने के लिए आते हैं।
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इसलिए जब भी आप हरिहर किले की रोमांचक यात्रा करें, त्र्यंबकेश्वर जाकर आध्यात्मिक शांति और कालसर्प दोष निवारण पूजा का लाभ भी अवश्य उठाएँ ।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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हरिहर किला ट्रेकिंग से जुड़े सामान्य प्रश्न
हरिहर किले का ट्रेक कितना कठिन है?
यह ट्रेक मध्यम से कठिन श्रेणी का है। खासतौर पर सीधी सीढ़ियाँ चढ़ना थोड़ा साहस और सावधानी माँगता है।
क्या शुरुआती लोग यह ट्रेक कर सकते हैं?
हाँ, लेकिन उन्हें एक अनुभवी गाइड या समूह के साथ जाना चाहिए।
हरिहर किले की सीढ़ियाँ कितनी ऊँची है?
लगभग 200 सीढ़ियाँ हैं, जिनका झुकाव 80–90 डिग्री है।
क्या हरिहर किले पर रात में ठहर सकते हैं?
नहीं, किले पर रुकने की व्यवस्था नहीं है। रात बिताने के लिए पास के गाँवों या नासिक शहर में रहना पड़ता है।
क्या मानसून में हरिहर किला ट्रेक करना सुरक्षित है?
हाँ, लेकिन बरसात के समय सीढ़ियाँ फिसलन भरी होती हैं, इसलिए अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी है।
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