ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को बहुत प्रभावशाली और जीवन को प्रभावित करने वाला दोष माना गया है। जब किसी जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आते हैं, तब कालसर्प दोष बनता है। इसके बहुत सारे प्रकार होते हैं, जिनमें से एक है कुलिक कालसर्प दोष। यह दोष व्यक्ति के जीवन में बहुत कठिनाइयाँ और बाधाएँ उत्पन्न करता है। इस दोष की शांति के लिए कुलिक कालसर्प पूजा बहुत प्रभावी उपाय है।

कुलिक कालसर्प दोष क्या होता है?
कुलिक कालसर्प दोष उस समय होता है जब राहु दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में हों जबकि बाकी सभी ग्रह ये दोनों के बीच आ जाएं।
दूसरा भाव परिवार, वाणी और धन का कारक है।
आठवाँ भाव आयु, गुप्त रोग, बाधाओं और तात्कालिक घटनाओं से जुड़ा होता है।
इस स्थिति की वजह से जातक के जीवन में पारिवारिक समस्याएँ, वाणी से कष्ट, आर्थिक कठिनाइयाँ और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं।
कुलिक कालसर्प दोष के लक्षण
कुलिक कालसर्प दोष से ग्रस्त जातक को निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती हैं:
पारिवारिक कलह और आपसी तनाव।
आर्थिक स्थिति में अस्थिरता।
वाणी में कटुता और दूसरों को कष्ट पहुँचाना।
स्वास्थ्य समस्याएँ और बार-बार बीमार पड़ना।
नौकरी और व्यवसाय में रुकावट।
विवाह में विलंब या वैवाहिक जीवन में असंतोष।
अचानक दुर्घटनाएँ और मानसिक तनाव।
कुलिक कालसर्प पूजा का महत्व
कुलिक कालसर्प पूजा करने के बाद व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और उज्जैन जैसे स्थानों पर विशेष रूप से की जाती है। पूजा करने से:
ग्रहों का दोष शांत होता है।
आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बढ़ती है।
मानसिक तनाव कम होकर आत्मविश्वास बढ़ता है।
राहु-केतु का दुष्प्रभाव कम होता है।
कुलिक कालसर्प पूजा की विधि
पूजा को शास्त्रोक्त विधि से करनी अनिवार्य है। आमतौर पर विधि यह होती है:
प्रातः स्नान करके पूजा स्थल पर जाएँ।
संकल्प लिया जाता है जिसमें जातक का नाम, गोत्र और उद्देश्य बताया जाता है।
गणपति पूजन, कलश स्थापना और नवग्रह पूजन किया जाता है।
विशेष रूप से राहु और केतु का जप और पूजा की जाती है।
कालसर्प दोष निवारण हेतु शिवलिंग पर जलाभिषेक और महामृत्युंजय जाप किया जाता है।
पूजा के अंत में हवन और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है।
पूजा करते समय कुंडली और दोष के अनुसार विशेष मंत्र और विधान का पालन किया जाता है।
कुलिक कालसर्प पूजा के लाभ
इस पूजा से मिलने वाले लाभ इस प्रकार हैं:
परिवार में आपसी प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
स्वास्थ्य में सुधार होता है।
नौकरी और व्यापार में सफलता मिलती है।
धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
जीवन की रुकावटें धीरे-धीरे समाप्त होती हैं।
कुलिक कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों के लिए विशेष उपाय
रोज़ सुबह स्नान कर शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” और “ॐ रं राहवे नमः” मंत्र का जप करें।
मंगलवार और शनिवार को राहु-केतु की शांति के लिए दान करें।
नाग पंचमी के दिन नाग-देवता की पूजा करें।
ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करें।
निष्कर्ष
कुलिक कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में बहुत सारे जैसी-जैसी परेशानियाँ और बाधाएँ उत्पन्न करता है, परंतु शास्त्रोक्त विधि से पूजा करने पर इसका दुष्प्रभाव कम किया जा सकता है। यदि आप इस दोष के पीड़ित हैं, तो त्र्यंबकेश्वर जाकर कुलिक कालसर्प पूजा अवश्य कराएँ।
शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा के सर्वश्रेष्ठ और अनुभवी पंडित माने जाते हैं। उनकी विधि और ठीक से मंत्रोच्चारण से पूजा का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ता है। इसलिए कुलिक कालसर्प दोष निवारण हेतु शिवेंद्र गुरु जी से पूजा कराना सबसे उत्तम उपाय है।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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कुलिक कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
कुलिक कालसर्प दोष क्यों बनता है?
जब राहु दूसरे भाव और केतु आठवें भाव में हों तथा बाकी ग्रह इनके बीच हों, तब कुलिक कालसर्प दोष बनता है।
कुलिक कालसर्प पूजा कहाँ करना सबसे अच्छा होता है?
त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और उज्जैन इस पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ स्थान माने जाते हैं।
क्या इस पूजा में कितना समय लगता है?
कुलिक कालसर्प पूजा में करीब 3 से 5 घंटे का समय लगता है।
क्या कुलिक कालसर्प दोष हमेशा रहता है?
पूजा और उपाय करने से इसके नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।
इस पूजा के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है?
फल, पुष्प, दुग्ध, घी, वस्त्र, नाग-नागिन प्रतिमा, पूजा सामग्री और ब्राह्मण भोजन की व्यवस्था की जाती है।
क्या यह पूजा अकेले की जा सकती है?
नहीं, यह पूजा केवल योग्य और अनुभवी पंडित द्वारा कराई जानी चाहिए।
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