कालसर्प दोष को भारतीय ज्योतिष शास्त्र ने विशेष महत्ता प्रदान की है। कालसर्प दोष उन्हीं कुंडलियों में बनता है जब प्रत्येक ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाएं। कुल 12 प्रकार के कालसर्प दोष बताए गए हैं, जिनमें से शंखपाल कालसर्प दोष है। यह दोष व्यक्ति के करियर, समाजिक प्रतिष्ठा और परिवारिक जीवन को अधिक प्रभावित करता है।
इस ब्लॉग में हम कालसर्प दोष के कारण, इसके प्रभाव, पूजा की विधि एवं लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

शंखपाल कालसर्प दोष क्या है?
किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में जब राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में आते हैं तथा शेष सभी ग्रह इन दोनों के बीच आ जाएं, तब शंखपाल कालसर्प दोष बनता है।
यह दोष के कारण व्यक्ति को निरंतर बाधाएं आती हैं। जीवन में लंबा प्रयास करने के बाद भी सफलता की प्राप्ति देर से होती है। शत्रु प्रबल रहते हैं और तनाव मानसिक बढ़ता है।
शंखपाल कालसर्प दोष के लक्षण
शंखपाल कालसर्प दोष ग्रस्त जातक को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है –
जीवन में अनचाही रुकावटें।
नौकरी या व्यापार में स्थिरता।
शत्रुओं की बढ़तीं।
कानूनी समस्याएँ या कोर्ट केस।
विदेश यात्रा में बाधा।
नींद की कमी और मानसिक तनाव।
शंखपाल कालसर्प दोष पूजा का महत्व
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए कालसर्प दोष निवारण पूजा सर्वश्रेष्ठ उपाय मानी गई है। विशेषकर शंखपाल कालसर्प दोष में पूजा करने से जातक को शत्रुओं पर विजय मिलती है और जीवन में स्थिरता आ जाती है।
यह पूजा प्रामुख्य से त्र्यंबकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र) में की जाती है। यहाँ पर कालसर्प दोष पूजा बहुत प्रभावी मानी जाती है क्योंकि यह स्थान भगवान शिव का पवित्र धाम है।
शंखपाल कालसर्प दोष पूजा की विधि
पूजा की प्रक्रिया इस प्रकार होती है –
स्नान और शुद्धि
प्रातः काल स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहने जाते हैं।
गणेश पूजन
किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी का आह्वान।
कालसर्प दोष पूजा संकल्प
पंडित जी द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ संकल्प कराया जाता है।
नाग-नागिन की प्रतिमा पूजन
विशेष रूप से राहु-केतु का शांति पाठ किया जाता है।
मृत्युंजय जप और हवन
महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं हवन किया जाता है।
पूजा का समापन
पितरों का आशीर्वाद लेकर पूजा का समापन किया जाता है।
शंखपाल कालसर्प दोष पूजा से मिलने वाले लाभ
इस पूजा करने से जातक को कई फायदे होते हैं, जैसे –
शत्रुओं पर जीत मिलती है।
नौकरी और करियर में अधिक्रितता आती है।
मानसिक शांति और आत्म-सम्मान बढ़ता है।
कोर्ट केस और कानूनी अड़चनों से छुटकारा मिलता है।
व्यापार में लाभ और सफलता मिलती है।
पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।
शंखपाल कालसर्प दोष के अन्य उपाय
पूजा के अलावा जातक कुछ समान्य उपाय भी कर सकता है –
दैनिक शिवलिंग पर जल अर्पण करना।
महामृत्युंजय मंत्र की जाप करना।
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का पूजा करना।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करना।
राहु-केतु के शांति मंत्र का जाप करना।
निष्कर्ष
शंखपाल कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में बहुत सारी प्रकार की बाधाएँ पैदा करता है। यह दोष शत्रुओं की बढ़ति, मानसिक चिंता, और कार्यों में बाधा का कारण बनता है। परंतु अगर सही विधि से त्र्यंबकेश्वर में शंखपाल कालसर्प दोष पूजा करवाया जाए, तो इसके प्रभाव बहुत हद तक कम हो जाते हैं।
अगर आप भी इस दोष से ग्रस्त हैं और जीवन में शांति, सुख और सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो अनुभवी पंडित के सम्हालने में यह पूजा अवश्य करवाएं।
पंडित शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा कराने के लिए सबसे श्रेष्ठ और अनुभवी आचार्य माने जाते हैं। उनके सम्हालने में की गई पूजा से जातकों को शीघ्र ही शुभ परिणाम मिलते हैं।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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शंखपाल कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
शंखपाल कालसर्प दोष पूजा किस जगह करनी चाहिए?
यह पूजा सबसे अधिक प्रभावी त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) पर होती है।
इस पूजा कितने समय तक करनी चाहिए?
आम तौर पर यह पूजा 2 से 3 घंटे तक चलती है।
शंखपाल कालसर्प दोष पूजा कौन करवा सकता है?
जिनकी कुंडली में राहु छठे भाव और केतु बारहवें भाव में हों, वे यह पूजा अवश्य करवाएं।
पूजा कराने से क्या दोष पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है?
पूजा से दोष के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है।
क्या यह पूजा हर एक व्यक्ति के लिए अलग होती है?
हाँ, प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, इसलिए पूजा की विधि और मंत्र भी कुंडली के अनुसार बदले जाते हैं।
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