भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष विशेष महत्व रखता है। जब किसी जातक की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तब कालसर्प दोष उत्पन्न होता है। यह दोष जीवन में बहुत सारी बाधाएँ, कष्ट, आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और परिवार में अशांति का कारण बनता है। कालसर्प दोष के भी बहुत सारे प्रकार होते हैं, जिनमें से एक पद्म कालसर्प दोष है। इस दोष की शांति के लिए पद्म कालसर्प पूजा की जाती है।

पद्म कालसर्प दोष क्या है?
जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं और राहु 5वें भाव में तथा केतु 11वें भाव में रहते हैं, तब इसे पद्म कालसर्प दोष कहते हैं।
इस दोष से ग्रस्त जातक को संतान सुख, शिक्षा में बाधा, धन की हानि, व्यापार में नुकसान और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पद्म कालसर्प दोष के लक्षण
संतान प्राप्ति में विलंब या कठिनाई।
शिक्षा और करियर में बाधाएँ।
व्यापार या नौकरी में लगातार नुकसान।
मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी।
परिवार में अशांति और विवाद।
धन का स्थायित्व न होना।
पद्म कालसर्प पूजा का महत्व
पद्म कालसर्प दोष की शांति के लिए जाने वाली यह पूजा बहुत मांग मानी जाती है। यह त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) और उज्जैन जैसे पवित्र स्थानों पर की जाती है। पूजा से जातक के जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और आत्मविश्वास आता है।
पद्म कालसर्प पूजा की विधि
पद्म कालसर्प पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। संक्षेप में इसकी विधि यह है:
पूजा का शुभ मुहूर्त ज्योतिषाचार्य द्वारा निर्धारित किया जाता है।
पूजा त्र्यंबकेश्वर मंदिर में की जाती है, जहाँ पवित्र गोदावरी नदी का प्रवाह है।
सबसे पहले गणपति पूजन और मातृका पूजन किया जाता है।
इसके बाद नवग्रह पूजन और विशेष कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान किया जाता है।
भगवान शिव, नागदेवता और राहु-केतु की विशेष आराधना की जाती है।
हवन और मंत्रोच्चारण से पूजा का समापन किया जाता है।
पद्म कालसर्प पूजा के लाभ
संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
शिक्षा और करियर में सफलता मिलती हैं।
व्यापार और नौकरी में प्रगति होती हैं।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
पारिवारिक विवाद समाप्त होते हैं।
आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
पूजा कहां करानी चाहिए?
त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) पद्म कालसर्प पूजा का सबसे प्रमुख और शक्तिपूर्ण स्थान माना जाता है। यहाँ पर भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थित है और कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
पद्म कालसर्प पूजा कराने से पहले ध्यान रखनी चाहिए – चीजें
पूजा अनुभवी और पूजा योग्य पंडित के हाथों में ही करानी चाहिए।
पूजा का समय, तिथि, और मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पूजा के समय पूरी श्रद्धा और आस्था आवश्यक है।
पूजा के लिए कुछ विशेष नियमों को अपनाना चाहिए, जैसे – सात्विक आहार लेना, नशा नहीं करना और दान-पुण्य करें।
निष्कर्ष
पद्म कालसर्प दोष जीवन में कई बाधाएँ और कष्ट पहुँचाता है। परंतु श्रद्धा और विधि-विधान के साथ की गई पद्म कालसर्प पूजा से इन कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आरम्भ होता है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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पद्म कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
पद्म कालसर्प दोष को किससे कहा जाता है?
जब राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में हो और सारे ग्रह इनके बीच आ जाएं, तो इसे पद्म कालसर्प दोष कहेते हैं।
पद्म कालसर्प पूजा कहां करनी चाहिए?
त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) पद्म कालसर्प पूजा के लिए सबसे उत्तम स्थान है।
इस पूजा के क्या लाभ हैं?
इससे संतान सुख, शिक्षा में सफलता, करियर में प्रगति, मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता मिलती है.
क्या यह पूजा जीवनभर के लिए दोष को समाप्त कर देती है?
पूजा के बाद दोष का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं।
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