ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को काफी गंभीर और प्रभावशाली माना गया है। यह दोष उस समय बनता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं। कालसर्प दोष के बहुत सारे प्रकार हैं और उनमें से एक प्रमुख प्रकार कर्कोटक कालसर्प दोष भी है। इस दोष के प्रभाव से जातक को मानसिक, आर्थिक और परिवारिक जीवन में बहुत सारी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कर्कोटक कालसर्प दोष क्या है?
जब राहु चतुर्थ भाव (घर, माता और सुख भाव) में और केतु दशम भाव (करियर और कर्म भाव) में स्थित होते हैं तथा बाकी सभी ग्रह इनके बीच आ जाएँ, तब कर्कोटक कालसर्प दोष बनता है।
यह दोष जातक को पारिवारिक सुख, मानसिक शांति और करियर से संबंधित समस्याओं में फँसा देता है।
कर्कोटक कालसर्प दोष के लक्षण
- घर-परिवार में निरंतर कलह और अशांति।
- माता या घर से जुड़ी कठिनाइयाँ।
- नौकरी या करियर में अस्थिरता।
- मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी।
- अचानक दुर्घटनाएँ या स्वास्थ्य की समस्याएँ।
- कार्यक्षेत्र में सफलता में बाधा।
- परिश्रम करने के बाद भी अपेक्षित परिणाम न मिलना।
कर्कोटक कालसर्प दोष का प्रभाव
पारिवारिक जीवन
घर पर शांति और सुख का आभाव रहता है।
करियर पर असर
नौकरी और व्यापार में असफलता और रुकावटें।
मानसिक जीवन
मनुष्य को चिंता, तनाव और भय गहरे रहते हैं।
स्वास्थ्य
नित्य बीमारियाँ और दुर्घटनाओं की आंशक्यता।
समंभव में स्थिति
समाज और रिश्तेदारों से टांलमेल बिगड़ना।
कर्कोटक कालसर्प पूजा का महत्व
कर्कोटक कालसर्प पूजा द्वारा जातक के जीवन की बाधाएँ कम होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) इस पूजा के लिए सबसे शुभ और प्रभावी स्थान माना गया है।
पूजा के महत्व इस प्रकार हैं:
- घर और परिवार में शांति।
- नौकरी और व्यापार में सफलता।
- स्वास्थ्य लाभ और लंबी आयु।
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास।
- जीवन में सुख और समृद्धि।
कर्कोटक कालसर्प पूजा की विधि
स्नान और संकल्प
पूजा के पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
गणेश पूजन
विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन कर आरंभ करें।
कालसर्प मंत्र जाप
पंडित जी द्वारा विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
नाग-नागिन प्रतिमा अभिषेक
पंचामृत से नाग-नागिन की प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है।
हवन और आहुति
मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया जाता है।
आशीर्वाद
पूजा पूर्ण कर पंडित जी आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
कर्कोटक कालसर्प पूजा से मिलने वाले फायदे
- पारिवारिक विवाद समाप्त होकर घर में शुभकामनाएँ।
- व्यापार और करियर में स्थिरता और सफलता।
- मानसिक शांति और ज्ञान बढ़ाने वाली सकारात्मक ऊर्जा।
- स्वास्थ्य समस्याओं में जल्दी सुधार।
- समाज और रिश्तेदारों से बेहतर सम्बन्ध।
- आत्मविश्वास और आध्यात्मिक उन्नति।
पूजा के समय सावधानियाँ
- पूजा हमेशा योग्य और अनुभवी पंडित से करवाएँ।
- पूजा के दिन सात्त्विक भोजन खाएँ और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- नशा और मांसाहार से बचें।
- पूजा के बाद दान-पुण्य करें।
- शिवजी की नियमित उपासना करें।
कर्कोटक कालसर्प दोष से ग्रस्त जातक को क्या करना होगा?
दिनचर्या में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
सोमवार को शिवलिंग पर दूध और जल अर्पित करें।
नाग पंचमी के दिन नाग-नागिन की पूजा करें।
शनिवार और सोमवार को व्रत रखें।
त्र्यंबकेश्वर में जाकर विशेष पूजा कराएँ।
निष्कर्ष
कर्कोटक कालसर्प दोष जातक के पारिवारिक, मानसिक और व्यावसायिक जीवन को प्रभावित करता है। लेकिन यदि त्र्यंबकेश्वर जैसे पवित्र स्थान पर योग्य पंडित के मार्गदर्शन में पूजा कराई जाए, तो इसका प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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कर्कोटक कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
कर्कोटक कालसर्प दोष कब उत्पन्न होता है?
जब राहु चतुर्थ भाव में और केतु दशम भाव में हों और बाकी ग्रह इनके बीच हों।
जीवन का कौन सा हिस्सा इस दोष से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है?
परिवार की सुख और करियर।
कर्कोटक कालसर्प पूजा कहाँ करनी होगी?
त्र्यंबकेश्वर (नासिक) यह पूजा के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।
यह पूजा जीवनभर दोष समाप्त कर देती है?
पूजा दोष के प्रभाव को जितनी हद तक कम करती है, उतनी ही दूरी होती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है।
पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
नियमित रूप से शिवजी की उपासना करें और सात्त्विक जीवनशैली अपनाएँ।
Reference




