कालसर्प योग की अवधि

कालसर्प योग की अवधि – प्रभाव, समय और समाधान

ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प योग को जीवन में अधिक चुनौतियाँ और बाधाएँ देने वाला दोष माना गया है। यह योग उस समय बनता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। कई लोग यह प्रश्न करते हैं कि कालसर्प योग की अवधि कितनी होती है और क्या यह जीवनभर रहता है या कुछ समय के लिए ही असर डालता है। इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि कालसर्प योग कितने समय तक सक्रिय रहता है, इसके प्रभाव क्या होते हैं और इसके निवारण के उपाय क्या हैं।

कालसर्प योग की अवधि

 कालसर्प योग की अवधि कितनी होती है?

कालसर्प योग की अवधि व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की दशा पर निर्भर करती है। सामान्यतः इसके प्रभाव को तीन प्रकार से समझा जा सकता है –

आजीवन प्रभाव

जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कालसर्प योग स्थायी रूप से बना हो, तब यह जीवनभर सक्रिय रहता है।

ऐसे व्यक्ति को हर क्षेत्र में संघर्ष करना पड़ सकता है।

ग्रह दशा-भुक्ति में सक्रिय

कालसर्प योग राहु-केतु की दशा, महादशा या अंतर्दशा में और विशेष रूप से अधिक प्रभावी होता है। 

कालसर्प योग के दौरान समस्याएं, रुकावटें और मानसिक तनाव बढ़ते जाते हैं। 

अस्थायी प्रभाव 

कुछ ज्योतिष यह मानते हैं कि यह योग गोचर में राहु और केतु का विशेष संयोग होने पर ही प्रभावी होता है। 

यानी यह योग हर समय सक्रिय नहीं रहता, लेकिन ग्रह स्थिति के अनुसार प्रभाव डालता है। 

कालसर्प योग के प्रभाव

व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव  

विवाह में विलम्ब, सौम्य साथी के साथ समस्याएँ।

शिक्षा और करियर 

मेहनत के बाद भी सफलता में हिचकिचाहटें।

आर्थिक स्थिति 

अचानक धन हानि या स्थिरता की कमी

स्वास्थ्य 

 मानसिक चिंता, डर और अनिद्रा की समस्याएँ।

आध्यात्मिक पहलू 

 व्यक्ति ईश्वर भक्ति और साधना की ओर प्रेरित होता है।

कालसर्प योग काल के संबंधित मान्यताएँ

  • कुछ लोग मानते हैं कि यह योग 27, 33 या 54 वर्ष की आयु तक ही प्रभाव डालता है।
  • अन्य मान्यता के अनुसार, यदि सही समय पर पूजा की जाए तो इसके दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।
  • जिनकी कुंडली में शुभ ग्रहों का प्रभाव मजबूत होता है, उन पर कालसर्प योग का असर कम दिखाई देता है।

कालसर्प योग के प्रकार और उनकी अवधि

कालसर्प योग कुल 12 प्रकार का होता है – अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कार्कोटक, शंखचूड, घातक, विषधर और शेषनाग।

इनमें से हर प्रकार का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों पर पड़ता है।

  • कुछ योग आजीवन प्रभाव डालते हैं।
  • कुछ योग विशेष दशा-भुक्ति में ही कष्ट देते हैं।

कालसर्प योग के समाधान

कालसर्प दोष निवारण पूजा 

त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और उज्जैन में यह पूजा विशेष रूप से की जाती है।

महामृत्युंजय जाप 

मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ के लिए सबसे अच्छा उपाय।

रुद्राभिषेक 

 भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा साधन।

नागपंचमी व्रत 

 नाग देवता की पूजा करने से दोष का प्रभाव कम होता है।

दान और जप 

राहु-केतु की शांति के लिए मंत्र जाप और दान करना फायदेमंद होता है।

कालसर्प योग पूजा का सही समय

  • श्रावण मास में
  • नागपंचमी के दिन
  • ग्रहण काल में
  • अमावस्या या पितृपक्ष में

          इन दिनों में पूजा करने से दोष का असर जल्दी कम होता है। 

निष्कर्ष

कालसर्प योग का समय हर व्यक्ति की कुंडली और ग्रह दशा पर निर्भर करता है। कुछ में यह जीवनभर असर डालता है, जबकि कुछ में विशेष समय तक। हालाँकि, सही समय पर पूजा और उपाय करने से इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी

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कालसर्प योग की अवधि से जुड़े सामान्य प्रश्न

क्या कालसर्प योग जीवनभर रहता है?

हाँ, यदि यह जन्म कुंडली में बना हो तो जीवनभर रहता है। लेकिन पूजा और उपायों के माध्यम से इसका असर कम किया जा सकता है।

कालसर्प योग कब ज्यादा असर डालता है?

 राहु और केतु की दशा-भुक्ति या गोचर के दौरान इसका असर सबसे अधिक दिखाई देता है।

क्या पूजा से कालसर्प योग पूरी तरह खत्म हो जाता है?

यह दोष कुंडली से हटाया नहीं जा सकता, जैसे कि कोई पाया जाता है उपायों और पूजाओं के द्वारा इसके नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।

कालसर्प योग की औसत अवधि कितनी होती है?

 यह योग आजीवन भी रह सकता है, और कुछ मामलों में 27, 33 या 54 वर्ष की आयु तक ही असर डालता है।

कालसर्प दोष पूजा कहाँ करनी चाहिए?

कालसर्प दोष पूजा को सबसे प्रभावी त्र्यंबकेश्वर (नासिक) में माना गया है।

Reference:

https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/grah-nakshatra-in-hindi/kaal-sarp-dosh-puja-benefits-symptoms-puja-vidhi-kaal-sarp-dosh-ke-upay/articleshow/100844490.cms

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