कालसर्प योग कुंडली उदाहरण

कालसर्प योग कुंडली उदाहरण: कारण, प्रभाव और समाधान

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प योग एक बहुत ही महत्वपूर्ण और चर्चित विषय है। कहते हैं कि यदि किसी जातक की कुंडली में यह योग बन जाए, तो जीवन में कई बाधाएँ, आर्थिक संकट, वैवाहिक समस्याएँ और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, सही मार्गदर्शन और उचित पूजा-अर्चना से इसके दोष को कमा जा सकता है। इस लेख में हम कालसर्प योग कुंडली उदाहरण, इसके लक्षण, प्रभाव, उपाय और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

कालसर्प योग कुंडली उदाहरण

कालसर्प योग क्या है?

जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो इसे कालसर्प योग कहते हैं। इसका मतलब है कि जन्मकुंडली में राहु और केतु एक प्रकार से सभी ग्रहों को घेर लेते हैं। यही स्थिति जातक के जीवन में अनेक बाधाओं का कारण बनती है।

कालसर्प योग कुंडली का उदाहरण

मान लीजिए किसी जातक की जन्म तिथि 15 अगस्त 1990 है और उसके जन्म समय 10:30 बजे, दिल्ली है। उस जातक की कुंडली में:

  • राहु पंचम भाव में स्थित है।
  • केतु एकादश भाव में है।
  • शेष सभी ग्रह जैसे सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि राहु व केतु के बीच आ गए हैं।

इस स्थिति में जातक की पूरी ग्रह स्थिति राहु-केतु के घेरे में आने से “कालसर्प योग” बन जाता है। इस जातक को जीवन में:

  • शिक्षा और करियर में समस्याएँ,
  • विवाह में देरी,
  • मानसिक चिंताएँ,
  • परिवार का क्लेश,
  • आर्थिक अस्थिरता का सामना पड़ सकता है।

कालसर्प योग के प्रकार

कालसर्प योग के बारह प्रकार बताये गए हैं। जैसे:

  1. अनन्त कालसर्प योग
  2. कुलिक कालसर्प योग
  3. वासुकी कालसर्प योग
  4. शंखपाल कालसर्प योग
  5. पद्म कालसर्प योग
  6. महापद्म कालसर्प योग
  7. तक्षक कालसर्प योग
  8. कर्कोटक कालसर्प योग
  9. शंखचूड़ कालसर्प योग
  10. घाटक कालसर्प योग
  11. विषधर कालसर्प योग
  12. शेषनाग कालसर्प योग

       हर प्रकार का दोष ही भिन्न-भिन्न जीवन क्षेत्रों पर हावी हो जाता है।

कालसर्प योग के सामान्य लक्षण

यदि कोई व्यक्ति के कुंडली में कालसर्प योग होता है, तो अपने जीवन में ये लक्षण दिखाई देते हैं:

  • बार-बार असफलता मिलना।
  • अचानक धन हानि।
  • परिवार और रिश्तों में मतभेद।
  • करियर में प्रगति रुकना।
  • सपनों में सर्प दिखना।
  • मानसिक चिंता और डर का बने रहना।

कालसर्प योग के प्रभाव

शैक्षिक क्षेत्र पर असर 

 पढ़ाई में व्यवधान, मेहनत के बावजूद कम सफलता।

विवाह और दांपत्य जीवन 

विवाह में देरी या पति-पत्नी के बीच मतभेद।

आर्थिक स्थिति 

 धन आने के बाद भी टिकता नहीं।

मानसिक स्थिति 

 डर, तनाव और अवसाद जैसी स्थितियाँ।

स्वास्थ्य

 बार-बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।

कालसर्प योग के उपाय

कालसर्प योग को पूरी तरह से नष्ट करना करना संभव नहीं है, किंतु पूजा, मंत्रजाप और दान के माध्यम से इसके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।

प्रमुख उपाय

  1. त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प योग पूजा करना।
  2. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना।
  3. नियमित रूप से रुद्राभिषेक कराना।
  4. नागपंचमी पर नाग-देवता की पूजा करना।
  5. हनुमान चालीसा और श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ।
  6. मंगलवार और शनिवार को गरीबों को भोजन कराना।
  7. रुद्राक्ष धारण करना।

कालसर्प योग पूजा का महत्व

त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) कालसर्प योग पूजा का सबसे प्रसिद्ध स्थल है। यहाँ विधिविधान से पूजा कराने से जातक को शीघ्र राहत मिलती है। पूजा के बाद मानसिक शांति, आर्थिक प्रगति और रिश्तों में सामंजस्य अनुभव किया जाता है।

निष्कर्ष

कालसर्प योग जातक के जीवन में मुश्किलें और बाधाएँ उत्पन्न करता है, लेकिन घबराहट की बात नहीं है। सही उपाय और पूजा द्वारा इसके असर को बहुत हद तक काम निर्धारित किया जा सकता है।

यदि आप भी कालसर्प योग से निर्वाही हैं, तो त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) में विधिविधान से पूजा अवश्य कराएँ।

शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर के सबसे अनुभवी और विश्वसनीय पंडित हैं, जिन्होंने हजारों जातकों की कालसर्प योग पूजा सफलतापूर्वक की है। उनके मार्गदर्शन और पूजा से जातक को शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

लेखक: शिवेंद्र गुरु जी

सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।

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 कालसर्प योग कुंडली से जुड़े सामान्य प्रश्न

कालसर्प योग कब बनता है?

जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएँ, तभी कालसर्प योग बनता है।

क्या कालसर्प योग जीवन भर रहता है?

हाँ, यह योग पूरी जन्मकुंडली में रहने वाला है, लेकिन सही पूजा और उपाय से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

कालसर्प योग कितने प्रकार होते हैं?

इसके कुल 12 प्रकार बताए गए हैं, जैसे अनन्त, कुलिक, वासुकी, शेषनाग आदि।

कालसर्प योग की पहचान कैसे करें?

जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर या किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर इसकी उपाधि की जाती है।

कालसर्प योग पूजा कहाँ करनी चाहिए?

त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) और उज्जैन आदि पवित्र स्थानों पर यह पूजा उत्तम मानी जाती है।

क्या कालसर्प योग वाले जातक सफल हो सकते हैं?

हाँ, अगर सही उपाय और पूजा की जाए तो जातक कड़ी मेहनत से सफलता हासिल कर सकता है।

reference:

https://www.jansatta.com/religion/jyotish-gyan-how-kaal-sarp-dosh-is-formed-in-birth-kundli-know-its-symptoms-and-remedies/1711898/#:~:text=%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AA%20%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%95%E0%A5%80,%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AA%20%E0%A4%AD%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%87%20%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A5%A4

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