ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष एक बहुत ही प्रभावी और चुनौतीपूर्ण योग माना गया है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएं, तो यह दोष बनता है। इसे जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयों, बाधाओं, और मानसिक अशांति का कारण माना गया है। बहुत लोग यह पूछते हैं – कालसर्प दोष क्यों होता है? क्या यह ग्रहों की स्थिति का ही परिणाम है, या इसके पीछे पूर्व जन्मों के कर्म भी जुड़े हुए हैं?
इस आर्टिकल में हम बारीकी से समझेंगे कि कालसर्प दोष कैसे होता है, इसके क्या प्रभाव होते हैं और इसका निवारण क्या है।

कालसर्प दोष बनने का कारण
ग्रहों की स्थिति
जब जन्म कुंडली में राहु और केतु आमने-सामने (180 डिग्री) की स्थिति बना रहता है और सभी अन्य ग्रह इन दोनों छाया ग्रहों के बीच के दबाव में फंस जाते हैं, तब कालसर्प दोष बनता है।
यह स्थिति जीवन में असंतुलन और संघर्ष का इशारा करती है।
पिछले जन्म के कर्म
अधिकांश विद्वान मानते हैं कि कालसर्प दोष पिछले जन्मों के असंपूर्ण कर्मों और पितृ ऋण के कारण भी होता है।
यह योग इंसान को आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करता है ताकि वह अपने पाप और दोषों से मुक्ति प्राप्त कर सके।
चंद्रमा की स्थिति कुंडली में
यदि चंद्रमा कमजोर या राहु-केतु के प्रभाव में हो, तो मानसिक तनाव और अशांति बढ़ जाती है।
इससे कालसर्प दोष और भी प्रभावशाली हो जाता है।
कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष कुल 12 प्रकार का माना गया है, जिनमें प्रत्येक का अलग प्रभाव होता है। जैसे:
अनन्त कालसर्प दोष
कुलिक कालसर्प दोष
वासुकी कालसर्प दोष
शंखपाल कालसर्प दोष
पद्म कालसर्प दोष
महापद्म कालसर्प दोष
तक्षक कालसर्प दोष
कर्कोटक कालसर्प दोष
शंखनाद कालसर्प दोष
घटक कालसर्प दोष
विषधर कालसर्प दोष
शेषनाग कालसर्प दोष
प्रत्येक दोष जीवन के विभिन्न क्षेत्रों – जैसे करियर, विवाह, संतान, पैसा, मानसिक शांति और स्वास्थ्य – पर प्रभाव डालता है।
कालसर्प दोष के लक्षण
बार-बार असफलता मिलना
अचानक पैसे हानि होना
मानसिक चिंता और स्लीप की समस्या
संतान सुख में विलंब
विवाह में बाधा
परिवार में तनाव या अशांति
आध्यात्मिक वृद्धि में बाधा
कालसर्प दोष से जुड़ी मान्यताएँ
1. यह दोष न केवल कुंडलीकी स्थिति पर, बल्कि व्यक्ति के कर्मों पर भी निर्भर करता है।
2. यदि किसी व्यक्ति को अच्छे कर्म करने हों, तो इसका असर धीरे-धीरे कम हो सकता है।
3. कालसर्प दोष को दूर करने के लिए पूजा, मंत्र जाप और अनुष्ठान किए जाते हैं।
कालसर्प दोष के उपाय
कालसर्प दोष पूजा
त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन, वाराणसी जैसे पवित्र स्थानों पर की जाती है।
रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप
भगवान शिव की व्रत पूजा से दोष का प्रभाव कम होता है।
नाग पूजा और श्राद्ध कर्म
पितृ शांति और नाग देवताओं की आराधना से भी राहत मिलती है।
मंत्र जाप
“ॐ नमः शिवाय” और “ॐ रा रहवे नमः” मंत्र का जाप लाभकारी होता है।
दान-पुण्य
गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दान करना शुभ माना गया है।
कालसर्प दोष का महत्व
कालसर्प दोष सिर्फ बाधाओं का प्रतीक ही नहीं है, किन्तु यह जीवन में व्यक्ति को आत्म-विश्लेषण और आत्म-ज्ञान की ओर भी ले जाता है। कई बार यह दोष व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग चुनने और अपने जीवन को शुद्ध बनाने के लिए प्रेरित करता है।
निष्कर्ष
कालसर्प दोष ग्रहों की स्थिति और पिछले जन्म के कर्मों का परिणाम होता है। यह जीवन में जीवन की जिन जिन कठिनाइयाँ लाता है, उन्हें सही उपाय और पूजा के द्वारा से उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। अगर आप कालसर्प दोष से मुक्ति चाहते हैं, तो त्र्यंबकेश्वर आपका सबसे उपयुक्त स्थान है। यहाँ शिवेन्द्र गुरु जी को सर्वश्रेष्ठ पंडित माना जाता है, जो शास्त्रसम्मत विधि से कालसर्प दोष पूजा कर जीवन में सकारात्मकता और शांति लाते हैं।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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कालसर्प दोष से जुड़े सामान्य प्रश्न
कब कालसर्प दोष बनता है?
जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाएँ, तब यह दोष बनता है।
क्या कालसर्प दोष हमेशा रहता है?
इसका प्रभाव जीवनभर रह सकता है, लेकिन उचित पूजा और उपाय करने से इसका असर काफी हद तक कम हो जाता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति कैसे मिलती है?
त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन, वाराणसी जैसे तीर्थस्थलों पर कालसर्प दोष पूजा करने से मुक्ति मिलती है।
क्या कालसर्प दोष केवल नकारात्मक होता है?
नहीं, यह दोष व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-ज्ञान की ओर भी प्रेरित करता है।
कालसर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान कौन सा है?
त्र्यंबकेश्वर (नासिक) को कालसर्प पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
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