भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो उसे कालसर्प दोष कहा जाता है। कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं, जिनमें से अनन्त कालसर्प दोष सबसे प्रभावशाली और गहन माना जाता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में अनेक कठिनाइयों, बाधाओं और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अनन्त कालसर्प दोष निवारण पूजा करना अत्यंत आवश्यक होता है।

अनन्त कालसर्प दोष क्या है?
जब राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में स्थित हों तथा शेष सभी ग्रह इन दोनों के बीच में आ जाएं, तो अनन्त कालसर्प दोष बनता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में निरंतर संघर्ष, आर्थिक हानि और पारिवारिक कलह जैसी समस्याएँ बनी रहती हैं।
“अनन्त” शब्द का अर्थ है – अंतहीन। इसलिए यह दोष व्यक्ति के जीवन में लम्बे समय तक प्रभाव डालता है और उसके प्रयासों के बावजूद सफलता प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
नन्त कालसर्प दोष के लक्षण
1. अचानक मानसिक तनाव और बेचैनी।
2. मेहनत के बावजूद सफलता में विलंब।
3. बार-बार धन हानि या कर्ज बढ़ना।
4. पारिवारिक जीवन में मतभेद और अशांति।
5. विवाह और संतान सुख में बाधाएँ।
6. बार-बार बीमारियाँ या स्वास्थ्य समस्याएँ।
7. आध्यात्मिक प्रगति में रुकावट।
अनन्त कालसर्प पूजा का महत्व
अनन्त कालसर्प दोष की शांति के लिए अनन्त कालसर्प पूजा करना अत्यंत आवश्यक है। यह पूजा विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक, महाराष्ट्र) में की जाती है, जिसे कालसर्प दोष निवारण का सबसे शक्तिशाली स्थान माना जाता है।
इस पूजा के द्वारा:
राहु और केतु शांत होते हैं।
पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
आर्थिक और मानसिक शांति मिलती है।
वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
अनन्त कालसर्प पूजा विधि
पूजा करने से पहले नियम और शुद्धता का पालन करना आवश्यक है। यह पूजा प्रामाणिक और अनुभवी गुरुजनों की देखरेख में करनी चाहिए। पूजा की विधि इस प्रकार है:
1. स्नान और शुद्धि
पूजक को प्रातः स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. संकल्प
पंडित जी के मार्गदर्शन में पूजा का संकल्प लिया जाता है।
3. गणेश पूजन
सभी विघ्न दूर करने के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा।
4. कालसर्प दोष शांति मंत्रजाप
विशेष रूप से राहु और केतु मंत्रों का जाप।
5. नाग देवता की पूजा
नाग-नागिन की प्रतिमा का पूजन कर दूध अर्पित करना।
6. अभिषेक
भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है।
7. होम और हवन
वेद मंत्रों के साथ हवन कर पूजा सम्पन्न की जाती है।
अनन्त कालसर्प पूजा करने का शुभ समय
यह पूजा किसी भी मास के शिवरात्रि, नागपंचमी, अमावस्या और श्रावण मास में विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। सोमवार और नागपंचमी के दिन भी यह पूजा श्रेष्ठ परिणाम देती है।
अनन्त कालसर्प पूजा से प्राप्त लाभ
1. जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
2. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
3. वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।
4. संतान सुख की प्राप्ति होती है।
5. मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
6. पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
7. आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अनन्त कालसर्प दोष से बचाव के उपाय
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
नागपंचमी के दिन नाग-नागिन की पूजा करें।
पीपल और बेल के वृक्ष की पूजा करें।
शिवलिंग पर दूध, बेलपत्र और जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
अनन्त कालसर्प दोष जीवन में गहन बाधाओं और कष्टों का कारण बनता है। इससे मुक्ति पाने के लिए त्र्यंबकेश्वर में विधिवत अनन्त कालसर्प दोष पूजा करना सबसे उत्तम उपाय है। यह पूजा केवल अनुभवी और विद्वान आचार्य की देखरेख में ही करनी चाहिए, ताकि इसके पूर्ण फल प्राप्त हों।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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अनन्त कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
अनन्त कालसर्प दोष सबसे खतरनाक क्यों माना जाता है?
यह दोष व्यक्ति के जीवन पर दीर्घकालीन प्रभाव डालता है और उसके हर क्षेत्र – आर्थिक, पारिवारिक, वैवाहिक और मानसिक जीवन में रुकावटें पैदा करता है।
अनन्त कालसर्प पूजा कहाँ करनी चाहिए?
यह पूजा त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक में सबसे प्रभावी मानी जाती है।
पूजा के बाद क्या नियम पालन करने चाहिए?
उत्तर: सात्विक भोजन करना, नशा और मांसाहार से दूर रहना, तथा भगवान शिव की आराधना करना चाहिए।
क्या यह पूजा केवल एक बार करनी होती है?
हाँ, यदि पूजा विधिविधान से की जाए तो एक बार पर्याप्त होती है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में पुनः पूजा करवाई जाती है।
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