अर्क विवाह

अर्क विवाह – महत्व, प्रक्रिया और लाभ

भारतीय ज्योतिष शास्त्र और परंपराओं में अनेक ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनके माध्यम से जीवन की बाधाओं और दोषों का निवारण किया जा सकता है। इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और दुर्लभ अनुष्ठान है – अर्क विवाह

ये अनुष्ठान विशेषकर उन पुरुषों के लिए किया जाता है जिनमें मांगलिक दोष (Manglik Dosha) या अन्य ग्रह बाधाएँ हों। जैसे कि कुंभ विवाह की बात स्त्रियों के लिए बतायी गई है, वैसे ही अर्क विवाह पुरुषों के लिए है। इसे किये जाने से मांगलिक दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है और विवाह में आ रही बाधाएँ टल जाती हैं।

अर्क विवाह क्या है?

अर्क विवाह एक वैदिक अनुष्ठान है जिसमें पुरुष जातक का विवाह पहले अर्क वृक्ष (जिसे अर्क का पौधा या आकाशीय फूल/मदार का पौधा भी कहते हैं) से कराया जाता है। इस अनुष्ठान के बाद मनाया जाता है कि जातक का मंगल दोष समाप्त हो गया है और उसके विवाह में कोई बाधा नहीं आती।

यह प्रक्रिया पुरुष जातक को ग्रह दोषों के नकारात्मक प्रभाव से मुक्त करती है और उसके वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाती है।

अर्क विवाह कब आवश्यक होता है?

अर्क विवाह मुख्य रूप से निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है –

जब पुरुष की कुंडली में मंगल दोष हो।

जब विवाह में लगातार अड़चनें आ रही हों।

जब विवाह योग्य उम्र निकल रही हो परंतु शादी नहीं हो पा रही हो।

जब बार-बार रिश्ते टूट जाते हों।

जब दांपत्य जीवन पर नकारात्मक प्रभाव की संभावना हो।

अर्क विवाह की प्रक्रिया

अर्क विवाह एक वैदिक और धार्मिक विधि से सम्पन्न किया जाता है। इसकी संपूर्ण प्रक्रिया इस प्रकार है –

मुहूर्त का चयन 

शुभ तिथि और नक्षत्र का निर्धारण पंडित जी द्वारा किया जाता है।

अर्क वृक्ष की स्थापना

 विवाह योग्य पुरुष को अर्क के वृक्ष के पास बैठाकर पूजन कराया जाता है।

विवाह रस्में 

पुरुष जातक का विवाह अर्क वृक्ष से कराया जाता है। इसमें विवाह की सभी रस्में जैसे वरमाला, फेरे आदि कराए जाते हैं।

मंत्रोच्चार और हवन 

 विशेष वैदिक मंत्रों का उच्चारण और मंगल दोष निवारण हेतु हवन किया जाता है।

समापन 

विवाह की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अर्क वृक्ष का पूजन कर अनुष्ठान पूर्ण किया जाता है।

अर्क विवाह के लाभ

अर्क विवाह करने पर कई ज्योतिषीय और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे –

मांगलिक दोष का निवारण 

 यह अनुष्ठान पुरुष जातक की कुंडली में मौजूद मंगल दोष का निवारण करता है।

विवाह में सफलता 

जिनका विवाह बार-बार रुक जाता है, उनको विवाह में सफलता प्राप्त होती है।

वैवाहिक जीवन में स्थिरता 

 जीवनसाथी के साथ सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।

ग्रहों का संतुलन 

 दोषी ग्रह शांत होकर शुभ फल देने लगते हैं।

मानसिक शांति 

व्यक्ति आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

धार्मिक महत्व

релिगियोस दृष्टिकोण से अर्क विवाह बहुत पवित्र अनुष्ठान है। अर्क वृक्ष को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है। यह सूर्य देव का प्रिय वृक्ष है। इसीलिए जब किसी पुरुष जातक का विवाह अर्क वृक्ष से कराया जाता है, तो उसके दोष सूर्य और मंगल की कृपा से समाप्त हो जाते हैं।

वैज्ञानिक दष्टिकोण

वैज्ञानिक दष्टिकोण से, अर्क विवाह एक किस्म का मनोवैज्ञानिक समाधान है। इससे व्यक्ति यह अनुमान रखने लगता है कि उसके ग्रह दोष समाप्त हो गए हैं और अब उसके विवाह में कोई समस्या नहीं आएगी। यह अनुमान उसे मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाता है और उसके जीवन में सकारात्मकता पैदा करता है।

निष्कर्ष

अर्क विवाह एक पवित्र और महत्वपूर्ण वैदिक अनुष्ठान है, जिसका प्रमुख उद्देश्य पुरुष जातक की कुंडली में रहने वाला मांगलिक दोष और अन्य ग्रह बाधाएँ दूर करना है। यह न केवल विवाह में आने वाली अड़चनें दूर करता है, बल्कि दाम्पत्य जीवन को भी सुखमय और स्थिर बनाता है।

अगर आप भी अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं और अर्क विवाह या किसी दूसरे वैदिक अनुष्ठान जैसे कुंभ विवाह, कालसर्प दोष पूजा, नारायण नागबली पूजा, पितृ दोष निवारण पूजा कराना चाहते हैं, तो शिवेंद्र गुरु जी सर्वश्रेष्ठ और योग्य पंडित हैं।

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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी

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अर्क विवाह से जुड़े सामान्य प्रश्न

अर्क विवाह किनके लिए आवश्यक है?

यह अनुष्ठान विशेषतः उन पुरुष जातकों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष हो और विवाह में बाधाएँ आ रही हों।

अर्क विवाह कब कराना चाहिए?

जब विवाह बार-बार रुक रहा हो, या रिश्ते टूट रहे हों, तब यह अनुष्ठान कराया जाता है।

क्या अर्क विवाह के बाद मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है?

हाँ, अर्क विवाह करने से मंगल दोष पूरी तरह से दूर हो जाता है।

क्या अर्क विवाह केवल पुरुषों के लिए है?

हाँ, अर्क विवाह पुरुष जातकों के लिए किया जाता है। स्त्रियों के लिए कुंभ विवाह कराया जाता है।

अर्क विवाह में कितना समय लगता है?

सामान्यतः यह अनुष्ठान 2 से 3 घंटे में सम्पन्न हो जाता है।

Reference –

https://sanskritbhasi.blogspot.com/2021/06/blog-post_7.html

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