कालसर्प दोष का निवारण

कालसर्प दोष का निवारण: संपूर्ण जानकारी

ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की जन्म कुंडली के ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर उसके जीवन की दिशा और दशा का आकलन किया जाता है। जन्मकुंडली में अक्सर ग्रहों की विशेष स्थिति ऐसी बनती है जिससे जातक को अनेक कठिनाइयों, बाधाओं और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक स्थिति है – कालसर्प दोष

यह दोष तब होता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं। कालसर्प दोष को व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयों, रुकावटों और संघर्षों का कारण माना जाता है। लेकिन जैसे हर समस्या का समाधान होता है, वैसे ही कालसर्प दोष का भी प्रभावी निवारण संभव है।

कालसर्प दोष के लक्षण

कालसर्प दोष से ग्रस्त व्यक्ति को सर्वशिक्षा में निम्नलिखित प्राणिकों का सामना करना पड़ता है:

समय-समय पर असफलता 

 प्रयत्न करने पर भी कार्य में सफलता नहीं मिलती।

आर्थिक संकट 

 धन की कमी या तात्कालिक हानि।

मानसिक तनाव 

 चिंता, अवसाद और बेचैनी की स्थिति।

पारिवारिक कलह 

 घर-परिवार में शांति का अभाव।

स्वास्थ्य संबंधी समस्या 

 अकस्मात बीमारी या लम्बे समय तक रोग का बने रहना।

स्वप्न दोष 

 सांपों, नागों या भयानक स्वप्नों का आना।

कालसर्प दोष के प्रकार

ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 प्रकार के कालसर्प दोष बताए गए हैं जैसे – अनंत कालसर्प, वासुकी कालसर्प, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलेक, शंखचूड, गंड, पातक, विषधर और शेषनाग कालसर्प योग। हर प्रकार का प्रभाव अलग-अलग जीवन क्षेत्रों पर पड़ता है।

कालसर्प दोष निवारण के उपाय

1. पूजा-पाठ और मंत्रजाप

  • नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करें।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
  • “ॐ नमः शिवाय” का नियमित जाप करने से भी दोष का प्रभाव कम होता है।

2. कालसर्प दोष निवारण पूजा

  • यह विशेष पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन, वाराणसी आदि तीर्थस्थलों पर करवाई जाती है।
  • इस पूजा में शिव, नाग और राहु-केतु की विशेष विधि से पूजा कर दोष का शमन किया जाता है।

3. रत्न और धारण

  • राहु-केतु शांति के लिए गोमेद (हैसोनाइट) और लहसुनिया (कैट्स आई) धारण करने की सलाह दी जाती है।
  • रत्न धारण हमेशा योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य की सलाह से ही करना चाहिए।

4. दान-पुण्य

  • नागों की प्रतिमा पर दूध चढ़ाना।
  • गरीबों को वस्त्र, भोजन और दान देना।
  • सोमवार के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करना।

5. मंत्र और स्तोत्र पाठ

  • “कालसर्प दोष निवारण स्तोत्र” का पाठ करें।
  • राहु-केतु शांति मंत्र का नियमित जाप करें।

कालसर्प दोष निवारण पूजा की प्रक्रिया

त्र्यंबकेश्वर (नासिक) में की जाने वाली पूजा सबसे प्रसिद्ध और प्रभावी है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

स्नान और संकल्प 

 तीर्थ स्थल पर स्नान करके संकल्प लिया जाता है।

गणपति पूजन 

 पूजा की शुरुआत गणेश जी की आराधना से होती है।

कालसर्प यज्ञ 

 वेद मंत्रों के माध्यम से राहु-केतु का आह्वान किया जाता है।

नाग पूजन और अभिषेक 

 नाग प्रतिमा पर दूध, जल, पुष्प चढ़ाए जाते हैं।

पुण्याहवाचन और हवन 

 हवन के द्वारा दोष शांति की जाती है।

आशीर्वचन 

 पंडितों द्वारा दोष निवारण का आशीर्वाद दिया जाता है।

इस पूजा से जातक के जीवन में रुके हुए कार्य बनने लगते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

कालसर्प दोष निवारण से होने वाले लाभ

  • जीवन की बाधाओं का निवारण।
  • वित्तीय स्थिति में सुधार।
  • पारिवारिक सुख-शांति।
  • विवाह और संतान सुख की प्राप्ति।
  • स्वास्थ्य में लाभ।
  • भय और मानसिक तनाव से मुक्ति।

निष्कर्ष

कालसर्प दोष कालपुरुष को वास्तव में जीवन में कई कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है, लेकिन इसका निवारण पूजा-पाठ, दान, मंत्रजाप और उत्तम पंडित के माध्यम से करवाई गई विशेष विधियों से किया जा सकता है।

यदि आप कालसर्प दोष से परेशान हैं और जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो त्र्यंबकेश्वर, नासिक जाकर कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाना सबसे उत्तम विशेषज्ञ उपाय है। इस क्षेत्र के जाने-माने विद्वान पंडित शिवेंद्र गुरु जी के पास वर्षों से कालसर्प पूजा कराने का अनुभव है। उनकी विधिवत पूजा और आशीर्वाद से कोई भी बिंदु आज सुख-शांति और सफलता का जीवन जी रहा है।

लेखक: शिवेंद्र गुरु जी

सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।

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कालसर्प दोष के निवारण से जुड़े सामान्य प्रश्न

कालसर्प दोष कितने प्रकार का होता है?

कालसर्प दोष के 12 प्रकार बताए जाते हैं, जैसे – अनंत, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म आदि।

कालसर्प दोष का प्रभाव कितने समय तक रहता है?

यह दोष जन्मकुंडली के आधार पर जीवनभर रह सकता है, लेकिन पूजा-पाठ और उपायों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

जहां कालसर्प दोष की पूजा करनी चाहिए?

कालसर्प दोष निवारण पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन, वाराणसी और अन्य शिव धामों पर विशेष रूप से की जाती है।

क्या हर किसी को यह पूजा करनी जरूरी है?

नहीं, केवल उन्हीं व्यक्तियों को यह पूजा करनी चाहिए जिनकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष स्पष्ट रूप से विद्यमान हों।

पूजा करवाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

नाग पंचमी, श्रावण मास या अमावस्या-पूर्णिमा के दिन यह पूजा करवाना विशेष फलदायी माना जाता है।

क्या कालसर्प दोष पूरी तरह खत्म हो जाता है?

पूजा से इसका नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है और जातक का जीवन सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने लगता है।

Reference:

https://www.jansatta.com/religion/kaal-sarp-dosh-ke-upay-lakshan-nivaran-puja-vidhi-in-hindi-what-is-kaal-sarp-dosh/4015856

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