भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के प्रभाव को मानव जीवन पर गहरा माना गया है। जिस जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, उसे कालसर्प दोष कहते हैं। यह योग अधिकांशतः जीवन में रुकावटें, बाधाएँ, मानसिक तनाव, वैवाहिक असंतोष और आर्थिक संकट होता है। बहुत से लोग ऐसा भी मानते हैं कि कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति को बार-बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है।
उस दोष से मुक्ति पाने के लिए कई उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि कालसर्प दोष के प्रभाव, उपाय और पूजा विधियों के बारे में विस्तार से।

कालसर्प दोष के प्रकार
ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष के **12 प्रकार** हुए हैं, जैसे – अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कार्कोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर और शेषनाग। प्रत्येक दोष जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर असर डालता है।
लक्षण कालसर्प दोष
* बार-बार असफलता और निराशा मिलना।
* बिना वजह मानसिक तनाव और भय।
* विवाह में विलंब या दांपत्य जीवन में समस्या।
* संतान प्राप्ति में कठिनाई।
* आर्थिक संकट और नौकरी-व्यवसाय में रुकावट।
* बार-बार बीमार रहना या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
यदि ये लक्षण लगातार जीवन में उपस्थित हों और कुंडली में राहु-केतु की स्थिति भी कालसर्प योग बना रही हो, तो इसका उपाय करना आवश्यक हो जाता है।
उपाय कालसर्प दोष
1. कालसर्प दोष निवारण पूजा
सबसे असरदार उपाय **कालसर्प दोष निवारण पूजा** है। यह पूजा विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर (नाशिक), उज्जैन, काशी और प्रयागराज जैसे पवित्र स्थानों पर की जाती है। इस पूजा के राहु-केतु के दुष्प्रभाव शांत होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
2. महामृत्युंजय जाप
भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र जप करने पर व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति और मानसिक शांति मिलती है। प्रतिदिन 108 बार जप करने से विशेष लाभ होता है।
3. नाग पूजा
सोमवार और नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करना, दूध अर्पण करना और मंदिर में नाग-नागिन की प्रतिमा को जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
4. रुद्राभिषेक
शिवलिंग पर रुद्राभिषेक कराना बहुत भाग्यवर्धक है। विशेष करके सावन माह या सोमवार को रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
5. राहु-केतु शांति पाठ
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार राहु और केतु की शांति कराना भी भाग्य का हिस्सा है। इससे जीवन में रुकी हुई सभी चीजें धीरे-धीरे अनुकूल होने लगती हैं।
6. दान और सेवा
* काले तिल, उड़द, लोहे की वस्तुएँ और नीले कपड़े का दान करें।
* जरुरतमंदों की सेवा करें और गरीबों को भोजन कराएँ।
* यह उपाय राहु-केतु को शांत करने में मददगार होता है।
7. व्रत और उपवास
सोमवार और नाग पंचमी का व्रत रखने से भी दोष का प्रभाव कम होता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लाभ
* जीवन की रुकावटें कम होने लगती हैं।
* करियर और व्यवसाय में उन्नति होती है।
* वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और सुख मिलता है।
* संतान सुख की प्राप्ति होती है।
* मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
* नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता का संचार होता है।
निष्कर्ष
कालसर्प दोष एक गंभीर ज्योतिष गोचर है, लेकिन इसके उपाय करने से जीवन में संतुलन और सुख-शांति प्राप्त की जा सकती है। पूजा, मंत्र-जप, दान और भगवान शिव की आराधना से यह दोष काफी हद तक शांत हो जाता है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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कालसर्प दोष के उपाय से जुड़े सामान्य प्रश्न
कालसर्प दोष पूजा कहाँ कराना सबसे शुभ होता है?
त्र्यंबकेश्वर (नाशिक), उज्जैन, काशी और प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थानों पर यह पूजा सबसे प्रभावी मानी जाती है।
कालसर्प दोष पूजा में कितना समय लगता है?
सामान्यतः यह पूजा 2 से 3 घंटे में पूरी हो जाती है।
कालसर्प दोष पूजा कराने के बाद क्या नियम हैं?
पूजा के बाद सात्विक भोजन करें, मदिरा और मांसाहार से बचें तथा भगवान शिव का ध्यान करें।
क्या हर कुंडली में राहु-केतु होने से कालसर्प दोष बनता है?
नहीं, यह दोष तभी बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएँ।
कालसर्प दोष पूजा से क्या लाभ होता है?
यह पूजा जीवन की बाधाएँ कम करती है, मानसिक शांति देती है और करियर व परिवार जीवन में स्थिरता लाती है।
क्या कालसर्प दोष पूजा जीवनभर प्रभावी रहती है?
हाँ, अगर श्रद्धा और सटीक विधि से की जाए तो इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
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