महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र – महत्व, विधि और लाभ

महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र जिसे त्रयम्बक मंत्र भी कहा जाता है, भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का जप जीवन, मृत्यु, स्वास्थ्य और आत्मिक शांति से जुड़ी हर कठिनाई को दूर करने के लिए किया जाता है।

पूरा महामृत्युंजय मंत्र (हिंदी में):

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

  • यह मंत्र ऋग्वेद का अंग है और भगवान शिव को समर्पित है।
  • इसका जप करने से अकाल मृत्यु का डर दूर होता है।
  • मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
  • यह जीवन की चुनौतियों, बीमारियों और अड़चनों से छुटकारा देता है।
  • इसका जप व्यक्ति को दीर्घायु और शांति प्रदान करता है।

महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि

शुद्धता का ध्यान रखें 

 स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाएँ 

 मंत्र जप के साथ शिवलिंग पर अभिषेक करें।

रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें 

सामान्यत: 108 बार जप करना शुभ माना जाता है।

समय 

 सुबह ब्रह्म मुहूर्त या संध्या समय श्रेष्ठ होता है।

ध्यान 

पूरे मन से भगवान शिव का ध्यान करते हुए जप करें।

महामृत्युंजय मंत्र जाप से लाभ

  • अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति।
  • स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से राहत।
  • नई मनसबलता की रोकथाम और मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि।
  • पारिवारिक कलह और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति।
  • ग्रहदोष और कालसर्प दोष आदि योगों के नकारात्मक प्रभाव कम करना।

महामृत्युंजय मंत्र जाप के नियम

  • मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
  • जप हमेशा गुरु के मार्गदर्शन या विद्वान पंडित की देखरेख में करना श्रेष्ठ होता है।
  • नकारात्मक भाव या संशय के साथ जप करने से लाभ नहीं मिलता।

निष्कर्ष

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे पवित्र और शक्तिशाली साधन है। यह जीवन में आने वाली हर विपत्ति, रोग और संकट को दूर करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष या अन्य ग्रहदोष हैं, तो महामृत्युंजय मंत्र जाप और विशेष पूजा अनिवार्य मानी जाती है।

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इसलिए, यदि आप कालसर्प दोष या किसी भी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हैं, तो त्र्यंबकेश्वर जाकर पंडित शिवेंद्र गुरु जी से पूजा अवश्य कराएं।

लेखक: शिवेंद्र गुरु जी

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महामृत्युंजय मंत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

 यह प्रातःकाल का समय या संध्या का किया जाना श्रेष्ठ माना जाता है। विशेष संकट के समय किसी भी समय किया जा सकता है।

महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?

सामान्यत: 108 जप करना शुभ है। कार्य क्रम के बड़े अनुष्ठानों में 1,25,000 जप किए जाते हैं।

क्या महामृत्युंजय मंत्र से मृत्यु टल सकती है?

यह मंत्र व्यक्ति को अकाल मृत्यु से बचाता है। यह जीवन को लंबा और स्वस्थ बनाने की स्वच्छता प्रदान करता है।

क्या महामृत्युंजय मंत्र कालसर्प दोष में सहायक है ?

हाँ, इस मंत्र के नियमित जप से कालसर्प दोष के कुप्रभाव कम होते हैं और शांति प्राप्त होती है।

महामृत्युंजय मंत्र जाप कौन कर सकता है?

 कोई भी व्यक्ति, चाहे महिला हो या पुरुष, श्रद्धा और विश्वास के साथ इस मंत्र का जाप कर सकता है।

Reference:

https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%9E%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A4%AF_%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0

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