ज्योतिष शास्त्र के विपरीत, कालसर्प दोष बनता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इस दोष के कई भेद होते हैं, उनमें से महापद्म कालसर्प दोष बहुत ही गंभीर माना गया है। यह दोष जातक के जीवन में वित्तीय समस्याएं, वैवाहिक तनाव, संतान सुख में बाधा और मानसिक उत्तेजना लेकर आता है। इस दोष की शांति के लिए महापद्म कालसर्प दोष पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) में करने से सर्वोत्तम फलदायी मानी गई है।

महापद्म कालसर्प दोष क्या है?
जब राहु 12वें भाव और केतु 6वें भाव में हों और अन्य सभी ग्रह उनके बीच फंसे हों, तब ग्रहों की स्थिति से कुंडली में महापद्म कालसर्प दोष बनता है।
इस दोष के मध्य जातक को –
विवाहिक जीवन में तनाव
संतान सुख में देर
नौकरी या व्यवसाय में रुकावट
शत्रुओं से भय
विदेश यात्रा में बाधा
मानसिक अशांति
ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
महापद्म कालसर्प दोष पूजा की महत्ता
यह पूजा राहु-केतु की नकारात्मक ऊर्जा शांत हो जाती है।
दाम्पत्य जीवन और संतान प्राप्ति में सुख-शांति आती है।
नौकरी और व्यापार में सफलता के मार्ग खुल जाते हैं।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
जीवन से अड़चनें और बाधाएँ धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।
पूजा की विधि
महापद्म कालसर्प दोष पूजा विशेष विधि और मंत्रोच्चारण के साथ की जाती है। सामान्यतः यह पूजा त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक में की जाती है।
चरणबद्ध प्रक्रिया:
संकल्प
पंडित जी द्वारा जातक का नाम, गोत्र लेकर संकल्प कराया जाता है।
पुण्याहवाचन
पूजा स्थल को शुद्ध कर देवताओं का आह्वान किया जाता है।
नागबली पूजा
पितृदोष और सर्पदोष की शांति हेतु।
राहु-केतु शांति हवन
विशेष मंत्रों के साथ राहु-केतु की शांति की जाती है।
नागप्रतिमा पूजन
चांदी/धातु की नाग-नागिन प्रतिमा की पूजा कर जल में विसर्जन किया जाता है।
आरती और आशीर्वाद
पूजा पूर्ण कर जातक को आशीर्वाद दिया जाता है।
पूजा का समय
यह पूजा विशेषकर नाग पंचमी, श्रावण मास, अमावस्या या पितृ पक्ष में अत्यधिक प्रभावी होती है।
सोमवार और नाग तिथि को भी पूजा करना शुभ माना जाता है।
पूजा के लाभ
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
पारिवारिक कलह और विवाह में आ रही बाधा दूर होती हैं।
आर्थिक स्थिति सुधरती है।
विदेश यात्रा और नौकरी में सफलता मिलती है।
शत्रु पर विजय और कानूनी मामलों में राहत मिलती है।
जीवन में सुख-शांति और स्थिरता आती है।
सावधानियाँ
पूजा से पहले और बाद में सात्विक आचरण रखें।
शराब, मांसाहार और नकारात्मक विचारों से बचें।
पूजा के बाद भगवान शिव का नियमित रुद्राभिषेक करना उत्तम है।
महापद्म कालसर्प दोष प्रभावित व्यक्ति के लक्षण
पुरजोर मानसिक तनाव और अनिद्रा
संतान सुख में बाधा
विवाह में विलंब या दांपत्य जीवन में तनाव
आतंकित धन हानि
शत्रु और कोर्ट-कचहरी के मामलें
आध्यात्मिक साधना में असफलता
निष्कर्ष
महापद्म कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति का जीवन कई कठिनाइयों का सामना करता है। इसकी शांति के लिए उचित विधि और योग्य आचार्य की सहायता होती है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में यह दोष पूजा करने के परिणामस्वरूप व्यक्ति को शीघ्र और पूर्ण फल प्राप्त होते हैं।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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महापद्म कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
महापद्म कालसर्प दोष किसे कहते हैं?
जब राहु 12वें भाव व केतु 6ठे भाव में होंगे और बाकी सभी ग्रह इनमें हों, तब महापद्म कालसर्प दोष उत्पन्न होता है।
इस दोष से क्या विपदाएँ उत्पन्न होती हैं?
विवाह व संतान में बाधा, आर्थिक हानि, मानसिक अवसाद, शत्रु की परेशानी, इत्यादि।
महापद्म कालसर्प दोष पूजा कहाँ करनी चाहिए?
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक में यह पूजा सर्वश्रेष्ठ फल देती है।
पूजा में कितना समय लगता है?
आमतौर पर पूजा 3 से 5 घंटे के भीतर पूरी हो जाती है।
पूजा का सबसे अच्छा समय क्या है?
नाग पंचमी, अमावस्या और श्रावण मास, सोमवार को पूजा करना सबसे अच्छा होता है।
पूजा करवाने के लिए कौन से पंडित उत्तम हैं?
शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में सबसे अनुभवी और योग्य पंडित हैं जो यह पूजा करवाते हैं।
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