हिंदू धर्म में शब्द मृत्युंजय का विशेष महत्व है। इसका अर्थ है – “मृत्यु पर विजय पाने वाला”। यह शब्द भगवान शिव से जुड़ा हुआ है, जिनका नाम महाकाल और संहारकर्ता के रूप में लिया जाता है। मृत्युंजय का विशेष रूप से महामृत्युंजय मंत्र से जुड़ाव है, जिसे जीवन की सबसे बड़ी शक्ति – मृत्यु – पर विजय दिलाने वाला मंत्र माना जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र वेदों में बताया गया है तथा यह ऋषि मुनियों ने भगवान शिव की स्तुति के समय गाया था। इस मंत्र का जाप करने पर अकाल मृत्यु का डर दूर हो जाता है और जीवन में स्वास्थ्य, आयु तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है।

मृत्युंजय का अर्थ
‘मृत्युंजय’ दो शब्दों के मेल से बना है –
- मृत्यु – जिसका अर्थ है अंत या मृत्यु।
- जयं – जिसका अर्थ है विजय या जीत।
अर्थात, मृत्युंजय का अर्थ है मृत्यु पर विजय प्राप्त करना। भगवान शिव को मृत्युंजय कहा जाता है क्योंकि वे मृत्यु के बंधन को तोड़कर जीवन को मोक्ष की ओर ले जाते हैं।
मृत्युंजय मंत्र का महत्व
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह के लाभ होते हैं। यह मंत्र न केवल जीवन को लंबा करता है, बल्कि आत्मा को भी शांति प्रदान करता है।
अकाल मृत्यु से रक्षा
अड़चनों के सामने फंसकर शोक आंख नहीं फिरती।
रोग निवारण
गंभीर बीमारियों में यह मंत्र अमृत के समान काम करता है।
मानसिक शांति
लगातार जाप से मन शांत और स्थिर होता है।
आध्यात्मिक उन्नति
साधक की आत्मा मोक्ष की ओर अग्रसर होती है।
ग्रह दोष निवारण
मृत्युंजय मंत्र का जाप शनि, राहु और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाता है।
मृत्युंजय पूजा की विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और पंचामृत से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा और पुष्प अर्पित करें।
- दीपक और धूप जलाकर मंत्र जाप करैं।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे… महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
यदि यह पूजा त्र्यंबकेश्वर जैसे पवित्र ज्योतिर्लिंग स्थल पर विद्वान पंडितों द्वारा कराई जाए तो इसका फल अनेक गुना बढ़ , जाता है।
मृत्युंजय मंत्र के लाभ
- रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ।
- आयु में वृद्धि और अकाल मृत्यु से रक्षा।
- भय, चिंता और मानसिक तनाव का निवारण।
- घर-परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
- ग्रह दोष और कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
- आध्यात्मिक शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मृत्युंजय का आध्यात्मिक रहस्य
मृत्यु शरीर का ही अंत है, आत्मा का नहीं। मृत्युंजय हमको यह सबक देता है कि मृत्यु से भय नहीं करना चाहिए क्योंकि आत्मा अमर है। मृत्युंजय मंत्र आत्मा को सक्षम करता है और जीवन को आध्यात्मिक दिशा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
मृत्युंजय का अर्थ है – विजय मृत्यु पर। यह शारीरिक जीवन को लंबा करने का भी तरीका, नहीं हर आत्मा को मोक्ष की दिशा में ले जाने वाला भी एक मार्ग है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव की अनंत शक्ति का प्रतीक है और इसके जाप से जीवन की हर कठिनाई दूर हो सकती है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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मृत्युंजय मंत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न
मृत्युंजय का मतलब क्या है?
मृत्युंजय का अर्थ मृत्यु पर विजय पाने वाला है। यह भगवान शिव का विशेष नाम है।
महामृत्युंजय मंत्र कब करना चाहिए?
सोमवार, श्रावण मास, अमावस्या और महाशिवरात्रि को यह मंत्र विशेष फल देता है।
मृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?
कम से कम 108 बार रोज करना चाहिए। विशेष पूजा में 1.25 लाख मंत्र जप का विधान है।
क्या मृत्युंजय मंत्र से बीमारियाँ दूर होती हैं?
हाँ, यह मंत्र स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
मृत्युंजय पूजा कहाँ करनी चाहिए?
त्र्यंबकेश्वर मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र) इस पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान है।
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