नागर शैली के मंदिर

नागर शैली के मंदिर : भारतीय वास्तुकला की अद्भुत धरोहर

भारतीय वास्तुकला विश्वभर में अपनी भव्यता, सौंदर्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय मंदिर वास्तुकला मुख्यतः तीन शैलियों में बँटी है – नागर शैली, द्रविड़ शैली और वेसर शैली। इनमें से नागर शैली के मंदिर अधिकतर उत्तर भारत में पाए जाते हैं और अपनी अनोखी संरचना, शिखरों की ऊँचाई और कलात्मक नक्काशी की वजह से विशेष पहचान रखते हैं।

नागर शैली के मंदिर

नागर शैली के मंदिर की विशेषताएँ

शिखर की ऊँचाई

नागर शैली के मंदिरों की सबसे अधिक विशेषता उनका ऊँचा शिखर होता है। यह शिखर आमतौर पर एक सीधे ऊपर की ओर उठता हुआ होता है और इसमें कई छोटे-छोटे शहर जुड़े हुए होते हैं।

गर्भगृह 

मंदिर का मुख्य भाग गर्भगृह होता है जहाँ भगवान की मूर्ति स्थापित की जाती है। गर्भगृह आमतौर पर छोटा और अंधकारमय होता है ताकि भक्त ध्यानपूर्वक ईश्वर की आराधना कर सकें।

मंडप 

गर्भगृह के सामने मंडप या सभा-मंडप होता है जहाँ भक्तजन पूजा और धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित होते हैं।

कला और नक्काशी

नागर शैली के मंदिरों में पत्थर पर बारीक नक्काशी देखने को मिलती है। इनमें देवी-देवताओं, अप्सराओं, पशु-पक्षियों और पौराणिक कथाओं के चित्र उकेरे जाते हैं।

ऊँचे चबूतरे

नागर शैली के मंदिर ऊँचे चबूतरे पर बने होते हैं। इससे मंदिर और भी भव्य दिखाई देता है।

नागर शैली के प्रमुख मंदिर

खजुराहो के मंदिर (मध्य प्रदेश)

विश्व प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर नागर शैली के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। उनकी नक्काशी और शिल्पकला अद्वितीय है।

कोणार्क का सूर्य मंदिर (ओडिशा)

यह एक रथ के आकार में बना हुआ है और नागर शैली की भव्यता का प्रदर्शन करता है।

मोडेरा का सूर्य मंदिर (गुजरात)

यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है और अपनी वास्तुकला और सूर्य के प्रकाश के वैज्ञानिक संयोजन के लिए प्रसिद्ध है।

काँचीपुरम और भुवनेश्वर के मंदिर

यद्यपि यहाँ द्रविड़ शैली भी दिखाई देती है, लेकिन कई मंदिरों में नागर शैली का प्रभाव स्पष्ट है।

नागर शैली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह शैली केवल ईश्वर की आराधना का केंद्र नहीं बल्कि कला, संस्कृति और समाज का प्रतिबिंब भी है।

मंदिर की ऊँचाई इस प्रतीक को दर्शाती है कि मनुष्य की आत्मा ईश्वर की तरफ उठती है।

मंदिर की नक्काशी आध्यात्मिक संदेशों और धार्मिक कथाओं को व्यक्त करती है।

आज भी नागर शैली के मंदिर भारतीय संस्कृति और पर्यटन का एक अंग बने हुए हैं।

निष्कर्ष

नागर शैली के मंदिर भारतीय संस्कृति और वास्तुकला की अमूल्य धरोहर हैं। यह पूजा स्थल नहीं, बल्कि प्राचीन भारत की वैज्ञानिक समझ, कलात्मकता और आध्यात्मिकता का सबूत है।

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नागर शैली के मंदिरों के बारे में सामान्य प्रश्न

नागर शैली के मंदिर मुख्य रूप से कहाँ पाए जाते हैं?

नागर शैली के मंदिर मुख्य रूप से मध्य भारत में पाए जाते हैं, विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा में।

नागर शैली और द्रविड़ शैली में क्या अंतर है ?

नागर शैली के मंदिरों में शिखर ऊँचा और सीधा होता है, जबकि द्रविड़ शैली के मंदिरों में शिखर पिरामिडनुमा और दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित हैं।

नागर शैली के प्रमुख उदाहरण कौन से हैं?

खजुराहो मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर और मोडेरा सूर्य मंदिर नागर शैली के कद्दचें हैं।

कब हुआ नागर शैली का उद्गम?

गुप्तकाल (4वीं–6वीं शताब्दी) से नागर शैली का विकास आरंभ हुआ और मध्यकाल तक की लोकप्रियता बढ़ी।

क्या आज भी नागर शैली के मंदिरों का निर्माण होता है?

तीव्रता हाँ, अधिकांश आधुनिक मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से प्रेरित होकर बनाए जा रहे हैं, लेकिन पारंपरिक शैली की नक्काशी और निर्माण तकनीक कम देखी जा सकती हैं।

Reference :

https://en.wikipedia.org/wiki/Nagara_Style

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