भारतीय धर्म और शास्त्रों में जीवन की समस्याओं और दोषों से निजात पाने के लिए बहुत सारे वैदिक अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है। इन्हीं सबों में से एक बहुत महत्वपूर्ण और दुर्लभ अनुष्ठान है नारायण नागबली पूजा। यह पूजा विशेषतः पितृ दोष, अनजाने में किये गये पाप और सर्पहत्या के दोष के साथ-साथ अकाल मृत्यु को शांत करने के लिए की जाती है।
त्र्यंबकेश्वर ( नासिक) इस पूजा के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थान माना जाता है, क्योंकि यहाँ पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है और यहां पर किए गए अनुष्ठानों का विशेष महत्व है।

नारायण नागबली पूजा क्या है?
नारायण नागबली पूजा दो अलग-अलग विधियों का संयुक्त अनुष्ठान है –
नारायण पूजा
यह पूजा ऐसी आत्माओं की शांति के लिए की जाती है जिनकी अकाल मृत्यु हुई है या जिनकी आत्मा अभी भी मोक्ष को प्राप्त नहीं कर पाई है। इस पूजा से उन आत्माओं को शांति और मुक्ति मिलती है।
नागबली पूजा
यह पूजा अनजाने में हुई सर्पहत्या के पाप को शांत करने के लिए की जाती है। हिंदू शास्त्रों में सर्प को देवता का स्वरूप माना गया है। यदि किसी व्यक्ति से अनजाने में भी सर्प की हत्या हो जाती है, तो वह एक बड़ा पाप माना जाता है। नागबली पूजा से इस दोष का निवारण होता है।
नारायण नागबली पूजा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
यह पूजा मुख्यतः निम्नलिखित परिस्थितियों में करने की आवश्यकता होती है –
यदि परिवार में पितृ दोष (Pitru Dosha) हो।
संतान सुख की प्राप्ति में बाधा हो।
परिवार में अक्सर अकाल मृत्यु या दुर्घटनाएँ हो रही हों।
जीवन में आर्थिक संकट और कार्य में असफलता मिल रही है।
यदि पूर्वजों की आत्माएं असंतुष्ट हों और स्वप्न में अक्सर दिखाई दें।
यदि कुंडली में सर्प दोष या नाग दोष हो।
नारायण नागबली पूजा की विधि
नारायण नागबली पूजा एक जटिल और शास्त्रोक्त अनुष्ठान है, जिसे केवल योग्य और अनुभवी पंडित द्वारा ही कराया जाना चाहिए। इसकी विधि इस प्रकार है –
मुहूर्त निर्धारण
पहले योग्य ज्योतिषाचार्य द्वारा शुभ तिथि और नक्षत्र का चयन किया जाता है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजन
पूजा का प्रारंभ भगवान शिव और पितरों के आह्वान से किया जाता है।
नारायण पूजा
देहबंध बनाकर उस पर पिंडदान एवं तर्पण किया जाता है जिसमें पवित्र मंत्रों का समावेश रहता है। यह आत्मा की मुक्ति और शांति के लिए किया जाता है।
नागबली पूजा
सर्प (नाग) का प्रतीकात्मक रूप पवित्र कुशा और आटे से बनाकर उसकी विधिवत पूजा की जाती है और दोष का निवारण मंत्रोच्चार के द्वारा किया जाता है।
होम और हवन
अंत में अग्नि देवता के माध्यम से पितरों और नाग देवता को आहुति दी जाती है।
पूजा सामान्यत
3 दिन तक चलती है, जिसमें अलग-अलग विधियों के द्वारा दोषों का निवारण किया जाता है।
नारायण नागबली पूजा के लाभ
नारायण नागबली पूजा से अनेक प्रकार के आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं –
पितृ दोष से मुक्ति
पूर्वजों की आत्माओं को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।
अकाल मृत्यु के दोष का निवारण
परिवार में अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं का भय समाप्त हो जाता है।
सर्प दोष का निवारण
अनजाने में हुए सर्पहत्या के पाप से मुक्ति मिलती है।
संतान सुख की प्राप्ति
जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति में समस्या हो, उन्हें संतान सुख मिलता है।
आर्थिक उन्नति
जीवन में धन की कमी और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
स्वास्थ्य में सुधार
परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सुख-शांति की प्राप्ति
परिवार में सकारात्मकता और शांति का वातावरण बनता है।
नारायण नागबली पूजा कहां करनी चाहिए?
वहां पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है। यहाँ पर पूजा की जाती है पितृ दोष और नाग दोष की निवृत्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान। नारायण नागबली पूजा दो दिनों में सम्पन्न होती है।
निष्कर्ष
नारायण नागबली पूजा एक बहुत ही शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान है, जिसे पितृ दोष, सर्प दोष और अचानक मृत्यु जैसे भयानक दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है। इस पूजा को त्र्यंबकेश्वर परकार करने से विशेष लाभ पहुंचाती है और जीवन की हर बाधा का समाधान करती है।
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शिवेंद्र गुरु जी नारायण नागबली पूजा के विशेषज्ञों के अलावा, कालसर्प दोष पूजा के लिए त्र्यंबकेश्वर के श्रेष्ठ पंडित भी माने जाते हैं। उनके मार्गदर्शन में किया जाने वाला प्रत्येक अनुष्ठान सफल और फलदायक हो जाता है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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नारायण नागबली पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
प्रश्न 1: नारायण नागबली पूजा कितने दिनों में होती है?
यह पूजा 3 दिनों में पूरी होती है।
प्रश्न 2:नारायण नागबली पूजा क्योंकि त्र्यंबकेश्वर में ही करनी चाहिए?
हाँ, शास्त्रों में इसका जिक्र है कि त्र्यंबकेश्वर में की गई नारायण नागबली पूजा सबसे कारगर होती है।
प्रश्न3: इस पूजा के लिए क्या विशेष सामग्री प्राप्त करनी होगी?
पूजा के लिए पिंडदान, कुशा, आटे से बने नाग का स्वरूप, वस्त्र, और हवन सामग्री की आवश्यकता होती है। पंडित जी इस सामग्री की व्यवस्था करवाते हैं।
प्रश्न 4: नारायण नागबली पूजा किन लोगों को करनी चाहिए?
जिनकी कुंडली में पितृ दोष, नाग दोष, संतान सुख में बाधा या अकाल मृत्यु का योग हो, उन्हें यह पूजा करनी चाहिए।
प्रश्न5: क्या जीवन में बदलाव इस पूजा के बाद नजर आता है?
हाँ, जीवन में शांति, सुख, उन्नति और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
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