भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ दोष एक महत्वपूर्ण दोष उच्चानुमान गया है। यह दोष तब पैदा होता है जब किसी की जन्म कुंडली में ग्रहों का स्थान अशुभ हो या पितरों की आत्मा असंतुष्ट हो। पितृ दोष के वजह से जीवन में कई भारी कठिनाइयाँ, आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, विवाह में देरी और संतान सुख में बाधा पहुँच सकती है। पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ दोष निवारण अत्यावश्यक है।
इस आर्टिक्ल में हम पितृ दोष के कारण, लक्षण और इसे दूर करने के कारगर उपायों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे।

पितृ दोष के कारण
अश्राद्ध कर्म में कमी
अगर पितरों का श्राद्ध ठीक तरह से नहीं किया जाता, तो उनकी आत्मा असंतुष्ट रहती है।
पूर्वजों द्वारा किए गए अधर्म
हमारे पूर्वजों द्वारा किए गये कर्म भी संतान की कुंडली में दोष उत्पन्न कर सकते हैं।
कुंडली में सूर्य और राहु-केतु का प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार सूर्य, राहु और केतु की स्थिति पितृ दोष का मुख्य कारण बनती है।
असमय मृत्यु
परिवार में किसी की असमय मृत्यु होने पर आत्मा की अशांति भी पितृ दोष का कारण बन सकती है।
पितृ दोष के लक्षण
- परिवार में बार-बार विवाद और अशांति।
- विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह समय पर न होना।
- संतान सुख में बाधा या संतान के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
- व्यवसाय या नौकरी में बार-बार रुकावटें आना।
- घर में लगातार बीमारियों का बने रहना।
- पैतृक संपत्ति के मामलों में विवाद और नुकसान होना।
पितृ दोष दूर करने के उपाय
1. पितरों का श्राद्ध और तर्पण
- पितृ दोष निवारण का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है श्राद्ध।
- पितृ पक्ष (भाद्रपद मास) में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
- गया, वाराणसी, त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन जैसे तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध करना अत्यंत शुभ माना गया है।
2. पिंडदान
- गया जी (बिहार) और त्र्यंबकेश्वर (नासिक) पिंडदान के प्रमुख स्थल हैं।
- पिंडदान करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष दूर होता है।
3. गाय को भोजन कराना
- दैनिक गाय को रोटी खिलाना और विशेषकर शनिवार या अमावस्या को गौ-सेवा करना अत्यंत लाभकारी है।
- यह कार्य पितरों की आत्मा को शांति देता है।
4. पवित्र नदी में दान
- अमावस्या और पितृ पक्ष के दिनों पर गंगा, गोदावरी या नर्मदा की तरह पवित्र नदियों में अन्न, तिल और जल का दान करें।
5. पीपल पूजन
- शनिवार और अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा और उसकी परिक्रमा सात बार करें।
- पीपल में देवताओं और पितरों का निवास माना जाता है।
6. महामृत्युंजय मंत्र का जाप
- नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी पितृ दोष के प्रभाव कम होते हैं।
- यह मंत्र आत्माओं की शांति और परिवार की रक्षा करता है।
7. त्र्यंबकेश्वर में पितृ दोष निवारण पूजा
- महाराष्ट्र के नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में पितृ दोष निवारण पूजा करने का विशेष महत्व है।
- यहाँ अनुभवी विद्वान पंडितों द्वारा विशेष विधि से यह पूजा की जाती है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए विशेष बातें
- सदैव अपने पितरों का स्मरण करें और हर शुभ कार्य से पहले उन्हें याद करें।
- घर में पूर्वजों की तस्वीर को दक्षिण दिशा में लगाएँ और रोज़ दीपक जलाएँ।
- हर वर्ष पितृ पक्ष में श्राद्ध ज़रूर करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान करना पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ है।
निष्कर्ष
पितृ दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न करता है, लेकिन उचित पूजा-पाठ, श्राद्ध, तर्पण और दान द्वारा इसे दूर किया जा सकता है। विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में पितृ दोष निवारण पूजा का महत्व सर्वोच्च माना जाता है।
यदि आप पितृ दोष या कालसर्प दोष जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं, तो अनुभवी और विद्वान आचार्य से विधिवत पूजा करवाना अत्यंत आवश्यक है। इस कार्य में शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में सर्वश्रेष्ठ पंडित माने जाते हैं। उनके मार्गदर्शन और पूजा-विधि से असंख्य लोगों ने पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाई है।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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पितृ दोष दूर करने के उपाय से जुड़े सामान्य प्रश्न
पितृ दोष कब होता है?
जब जन्म कुंडली में सूर्य, राहु और केतु का अशुभ संयोग हो जाता है या जब पितरों की आत्मा अशांत हो जाती है, तब पितृ दोष बनता है।
पितृ दोष के लक्षण क्या हैं?
विवाह में देरी, संतान सुख में बाधा, आर्थिक संकट, पारिवारिक विवाद और बार-बार बीमार होना पितृ दोष के प्रमुख लक्षण हैं।
पितृ दोष से छुटकारा पाने का सबसे सरल उपाय क्या है?
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।
पितृ दोष का स्थायी निवारण संभव है?
हाँ, उचित स्थान पर सही विधि से पितृ दोष निवारण पूजा किया जाए तो इसका प्रभाव स्थायी रूप से कम हो सकता है।
पितृ दोष निवारण के लिए सबसे अच्छा स्थान कौन सा है?
गया जी (बिहार) और त्र्यंबकेश्वर (नासिक) पितृ दोष निवारण के लिए सबसे प्रमुख और पवित्र स्थान माने जाते हैं।
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