वैदिक ज्योतिष में पितृ दोष को एक महत्वपूर्ण दोष माना गया है। जब हमारे पूर्वजों की आत्मा अपूर्ण इच्छाओं, संस्कारों की कमी या श्राद्ध कर्मों की कमी में असंतुष्ट हो जाती है, तो यह दोष जातक की कुंडली में उत्पन्न होता है। इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है और विभिन्न प्रकार की बाधाएँ सामने आती हैं।
पितृ दोष के कारण मनुष्य को समय-समय पर आर्थिक हानि, घरेलू कलह, विवाह में देरी, संतान सुख में बाधा और मानसिक शांति निध आना पड़ता है। इस लेख में आप पितृ दोष के लक्षणों के साथ-साथ इसके उपाय भी जानेंगे।

पितृ दोष क्या है?
पितृ दोष वह बनता है जब:
- पूर्वजों की आत्मा को श्राद्ध और तर्पण विधि से संतुष्ट नहीं किया गया हो।
- परिवार या वंश में किसी के द्वारा पूर्वजों का अपमान या अपराध हुआ हो।
- कुंडली में सूर्य, चंद्रमा या राहु-केतु जैसे ग्रह अशुभ भावों में हों।
- पिछले जन्म के कर्मों का बोझ इस जन्म में साथ चला आया हो।
पितृ दोष के लक्षण
यदि व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष हो, तो उसके जीवन में निम्नलिखित समस्याएँ दिखाई देती हैं:
- मेहनत के बावजूद धन की कमी रहना।
- परिवार में बार-बार झगड़े और असहमति होना।
- विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्या।
- संतान सुख में बाधा या गर्भपात होना।
- स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियाँ।
- शिक्षा या करियर में असफलता।
पितृ दोष कैसे दूर करें?
1. पितृ दोष निवारण पूजा
- त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन, गया और हरिद्वार में पितृ दोष निवारण पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
- इसमें तर्पण, पिंड दान और विशेष वैदिक अनुष्ठान शामिल होते हैं, जो केवल कुशल पंडितों द्वारा किए जाते हैं।
2. श्राद्ध और तर्पण
- पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना सबसे प्रभावी उपाय है।
- पूर्वजों के नाम पर अन्न, जल और दान अर्पित करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है।
3. ब्राह्मण, गौ और गरीबों को भोजन कराना
- ब्राह्मण, गाय और निर्धन लोगों को भोजन कराना पितरों की सेवा के समान माना गया है।
- इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
4. मंत्र जाप
नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करने से लाभ मिलता है:
- गायत्री मंत्र
- महामृत्युंजय मंत्र
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
- पितृ गायत्री मंत्र
5. भगवान शिव और विष्णु की उपासना
- प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाना और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी है।
- विष्णु भगवान की आराधना से भी पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
6. दान और सेवा
- अमावस्या के दिन तिल, वस्त्र, अन्न और धातु का दान चाहिए।
- ग़रीबों की सेवा करना भी पितरों की शांति के लिए उत्तम उपाय है।
7. गया में पिंड दान
- बिहार के गया जी में पिंड दान करना सबसे श्रेष्ठ उपाय माना गया है।
- यहाँ पिंड दान करने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
पितृ दोष के कारण जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ आ जाती हैं, लेकिन सही उपाय करने पर इसका प्रभाव कम हो सकता है। श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान, मंत्र जाप और पितृ दोष निवारण पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
ऐसा पवित्र कार्य सदा योग्य और अनुभवी पंडितों के निर्देशन में करना चाहिए। कालसर्प पूजा और पितृ दोष निवारण के लिए शिवेन्द्र गुरु जी को त्र्यंबकेश्वर में सबसे बड़े पंडित माने जाते हैं। उनकी गहरी ज्ञान और वर्षों का अनुभव अनगिनत श्रद्धालुओं को जीवन की समस्याओं से मुक्त कर चुका है।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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पितृ दोष से जुड़े सामान्य प्रश्न
पितृ दोष बनने का कारण क्या है?
पूर्वजों की असंतुष्टि, श्राद्ध कर्मों की उपेक्षा, या कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति इसके मुख्य कारण हैं।
पितृ दोष कैसे पहचाना जा सकता है?
योग्य ज्योतिषी से कुंडली विश्लेषण कराकर। साथ ही जीवन में लगातार असफलता और बाधाएँ भी इसके संकेत हो सकते हैं।
पितृ दोष निवारण के लिए सबसे अच्छा स्थान कौन सा है?
त्र्यंबकेश्वर (नासिक), गया, उज्जैन और हरिद्वार।
क्या पितृ दोष पूरी तरह समाप्त हो सकता है?
हाँ, श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान और पितृ दोष निवारण पूजा के द्वारा इसका प्रभाव काफी हद तक समाप्त हो सकता है।
पितृ दोष निवारण का सबसे अच्छा समय कब है?
पितृ पक्ष सबसे शुभ समय है, किंतु अमावस्या या कुछ अन्य विशेष अवसरों पर भी उपाय किए जा सकते हैं।
इन पूजाओं को कौन कर सकता है?
ये केवल योग्य और अनुभवी पंडितों के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
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