ज्योतिष शास्त्र के आधार पर जन्म कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच पहुँच जाते हैं, तब उसे कालसर्प दोष कहा जाता है। यह दोष बहुत सारे प्रकार का होता है, और इनमें से एक मुख्य प्रकार है शंखचूड़ कालसर्प दोष। यह दोष जीवन में संघर्ष, मानसिक तनाव, घर-परिवार की अशांति और आर्थिक कठिनाइयाँ लाता है। ऐसे में शास्त्रों में बताया जाता है कि शंखचूड़ कालसर्प दोष पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं।

शंखचूड़ कालसर्प दोष क्या है?
जब राहु द्वितीय भाव (धन भाव) में और केतु अष्टम भाव में होते हैं तथा बाकी सभी ग्रह इनके बीच आ जाते हैं, तब यह दोष बनता है। इसे शंखचूड़ कालसर्प दोष कहते हैं।
यह दोष मूल रूप से व्यक्ति की आर्थिक स्थिरता, परिवारिक जीवन और आत्मविश्वास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे जातक बहुत परिश्रम करने के बावजूद अपेक्षित फल नहीं पा पाते।
शंखचूड़ कालसर्प दोष के लक्षण
- लगातार आर्थिक समस्याएँ और धन की हानि।
- परिवारिक कलह और अशांति।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ।
- आत्मविश्वास की कमी और बार-बार असफलता।
- शिक्षा और करियर में रुकावट।
- विवाह या दांपत्य जीवन में समस्याएँ।
- शंखचूड़ कालसर्प पूजा का महत्व
- यह पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) और उज्जैन जैसे पवित्र स्थानों पर विशेष रूप से की जाती है।
इस पूजा का महत्व यह प्रकार है –
- आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- परिवार में शांति और सौहार्द का वातावरण बनता है।
- आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में सुधार होता है।
- जीवन में सफलता और स्थिरता आती है।
शंखचूड़ कालसर्प पूजा की विधि
पूजा का स्थान चयन
यह पूजा विशेषरूप से त्र्यंबकेश्वर मंदिर (नासिक) में अधिक प्रभावी मानी जाती है।
पूजा का समय
यह पूजा नाग पंचमी, श्रावण मास या चंद्र-ग्रहण/सूर्य-ग्रहण के समय करना शुभ माना जाता है।
पूजन सामग्री
पूजा के लिए दूध, दही, शहद, गंगाजल, नाग-नागिन की प्रतिमा, फूल, चावल, धूप, दीप आदि की आवश्यकता होती है।
पूजन प्रक्रिया
- सबसे पहले स्नान कर के पूजा स्थल पर बैठें।
- गणेश पूजन और संकल्प किया जाता है।
- इसके बाद कालसर्प योग निवारण मंत्रों का जाप होता है।
- नाग-नागिन की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर अभिषेक किया जाता है।
- अंत में हवन और आशीर्वाद के साथ पूजा संपन्न होती है।
शंखचूड़ कालसर्प पूजा से मिलने वाले लाभ
- आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
- नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
- परिवार में सामंजस्य और सुख-शांति आती है।
- शिक्षा और करियर में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और प्रगति का मार्ग खुलता है।
शंखचूड़ कालसर्प पूजा करते समय सावधानियाँ
- इस पूजा को योग्य और अनुभवी पंडित से ही करवाना चाहिए।
- पूजा के समय पूर्ण श्रद्धा और आस्था होनी चाहिए।
- पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- मांसाहार और नशे से पूर्णतः दूर रहना चाहिए।
- पूजा के पछिले दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
शंखचूड़ कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को क्या करना चाहिए?
- रूटीन पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- शिवलिंग पर नाग पंचमी और श्रावण मास में जल चढ़ाएं।
- नाग-नागिन की पूजा करें।
- शनिवार और सोमवार का व्रत करें।
- किसी शिव मंदिर में जाकर अभिषेक करें।
निष्कर्ष
शंखचूड़ कालसर्प दोष जीवन में बहुत समस्याएँ और रुकावटें उत्पन्न करता है। परंतु अगर इसे सही विधि से पूजा के द्वारा निवारण किया जाय, तो जीवन में सुख, शांति और सफलता मिलती है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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शंखचूड़ कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
शंखचूड़ कालसर्प दोष किन लोगों की कुंडली में बनता है?
यह दोष तब होता है जब राहु द्वितीय भाव में और केतु अष्टम भाव में होंगे और बाकी ग्रह इनके मध्य आ जाएँ।
शंखचूड़ कालसर्प दोष पूजा कहाँ करनी चाहिए?
यह पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और उज्जैन में विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
क्या यह पूजा एक बार करने से ही फल देती है?
हाँ, उचित विधि से अनुभवी पंडित द्वारा कराई गई पूजा से लंबे समय तक लाभ प्राप्त होते हैं।
इस पूजा के बाद कौनसे नियमों का आदर्श रूप से पालन करना चाहिए?
उत्तर: पूजा के बाद सात्विक जीवन जीना, दान-पुण्य करना और शिवजी की नियमित उपासना करना चाहिए।
क्या शंखचूड़ कालसर्प दोष जीवनभर परेशान करता है?
उत्तर: नहीं, समय पर पूजा और उचित उपाय करने से इस दोष का प्रभाव बहुत कम हो जाता है।
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