सावन का मास भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। इस पवित्र मास में भक्त अपनी श्रद्धा व भक्ति के साथ व्रत का पालन करके शिवशंकर को खुश करते हैं। सावन व्रत का बहुत महत्व है, क्योंकि इस मास में भगवान शिव की puja करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। सावन व्रत कथा सुनना और सुनाना भी धार्मिक रूप से आवश्यक माना गया है। इस ब्लॉग पर हम सावन व्रत की कथा, विधि, लाभ और सामान्य प्रश्नों के उत्तर विस्तार से प्रस्तुत करेंगे।

सावन व्रत का महत्व
सावन मास में व्रत रखने से व्यक्ति की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से:
विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
आर्थिक कष्टों का नाश होता है।
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर होती हैं।
सावन व्रत की विधि
1. सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
2. घर या मंदिर में शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाएं।
3. धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
4. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
5. व्रत के दिन फलाहार करें या केवल एक समय भोजन करें।
6. शाम को शिव कथा सुनें और आरती करें।
सावन व्रत कथा
एक समय था। एक साहूकार था, जिसकी एक पुत्री थी। जब वह विवाह योग्य हुई, तो साहूकार ने उसका विवाह एक योग्य वर से कर दिया। विवाह के बाद जब वह अपनी ससुराल गई, तो सावन का महीना आया। उसकी सास ने उसे सावन सोमवार व्रत रखना और कथा सुनने के लिए कहा।
वह बहू श्रद्धा और भक्ति के साथ सावन सोमवार का व्रत करने लगी। प्रत्येक सोमवार पर वह विधि-विधान पूर्वक पूजा करती, कथा सुनती और भगवान शिव का ध्यान करती। कुछ ही समयों में उसके घर में सुख-समृद्धि आने लगे। पति का व्यापार उन्नति करने लगा और परिवार में शांति स्थापित हो गई।
इस प्रकार यह कथा बताती है कि जो भी स्त्री या पुरुष सावन मास में श्रद्धापूर्वक व्रत रखता है और कथा सुनता है, उसके जीवन से दुखों का अंत होता है और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
सावन व्रत के लाभ
मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति।
घर-परिवार में सौहार्द और समृद्धि।
विवाह योग्य कन्याओं के लिए योग्य वर की प्राप्ति।
कठिन बीमारियों से मुक्ति।
आर्थिक उन्नति और व्यापार में सफलता।
सावन व्रत में क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल चढ़ाएँ।
“महामृत्युंजय मंत्र” और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएँ।
क्या न करें:
लहसुन-प्याज और मांसाहार का सेवन न करें।
किसी का अपमान न करें।
व्रत के दिन झूठ न बोलें और बुरे विचार न रखें।
निष्कर्ष
सावन व्रत कथा और पूजा विधि का पालन करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भगवान शिव की आराधना से सभी दुख दूर हो जाते हैं और भक्त को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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सावन व्रत कथा के बारे में सामान्य प्रश्न
सावन व्रत कितने दिन रखना चाहिए?
सावन सोमवार व्रत आमतौर पर पूरे सावन माह के चार या पाँच सोमवार को रखा जाता है।
क्या केवल महिलाएँ ही यह व्रत रख सकती हैं?
नहीं, यह व्रत महिलाएँ और पुरुष दोनों रख सकते हैं।
व्रत के दिन क्या भोजन करना चाहिए?
व्रत के दिन फलाहार या एक समय सात्त्विक भोजन करना चाहिए
क्या सावन व्रत कथा सुनना आवश्यक है?
हाँ, व्रत पूर्ण तभी माना जाता है जब कथा सुनी या सुनाई जाए।
सावन व्रत से कौन-सी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं?
विवाह, संतान सुख, स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति संबंधी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
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