ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को बहुत प्रभावशाली और जीवन में बाधा पैदा करने वाला दोष गिना गया है। जब कोई व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं, तब यह दोष का निर्माण होता है। कालसर्प दोष के कुल बारह लक्षण होते हैं, जिनमें से एक है वासुकी कालसर्प दोष। यह दोष तब निर्मित होता है जब राहु पंचम भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में होंगे।
वासुकी कालसर्प दोष के आधार पर व्यक्ति को शिक्षा, संतान, वित्तीय लाभ, और मित्र संबंधों में समस्याएं होती हैं। इस दोष से निर्लेप होने के लिए वासुकी कालसर्प दोष पूजा बहुत उत्तम फलदायी मानी गई है, विशेषरूप से त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) में यह पूजा करने से विशेष कल्याण प्राप्त होता है।

वासुकी कालसर्प दोष के लक्षण
बाधा संतान सुख में।
शिक्षा रुकावट या बार-बार असफलता।
मित्रों और संबंधियों से धोखा।
आर्थिक हानि और निवेश में घाटा।
मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी नहीं होती।
योजनाओं का अधूरा नहीं रह जाता।
वासुकी कालसर्प दोष पूजा का महत्व
जीवन में रुकी हुई उन्नति को गति मिलती है।
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
शिक्षा और करियर में सफलता मिलती है।
पारिवारिक संबंधों में सुधार होता है।
आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
मन में शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
वासुकी कालसर्प दोष पूजा की विधि
1. पूजा का स्थान
वासुकी कालसर्प दोष पूजा का सबसे शुभ स्थान त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र) है। यह स्थान भगवान शिव को समर्पित है और यहां पर की गई पूजा शीघ्र फलदायी होती है।
2. पूजा का समय
नाग पंचमी, श्रावण मास, या सोमवार को यह पूजा विशेष फलदायी होती है।
व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती हैं।
3. आवश्यक सामग्री
नाग-नागिन की चांदी की मूर्तियां
दूध, शहद, चावल, पुष्प, फल
पंचामृत, बेलपत्र, रुद्राक्ष
वस्त्र पूजा के लिए (धोती, साड़ी आदि)
4. पूजा की प्रक्रिया
स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना।
आचार्य द्वारा संकल्प और पूजा की शुरुआत।
कालसर्प दोष निवारण मंत्रों का जाप।
नाग-नागिन की मूर्तियों का पूजन और अभिषेक।
हवन और पिंड दान।
ब्राह्मण भोजन और दान।
वासुकी कालसर्प दोष पूजा के फायदे
संतान सुख की प्राप्ति और शिक्षा में सफलता।
आर्थिक लाभ और व्यवसाय में वृद्धि।
पारिवारिक जीवन में सौहार्द।
आत्मविश्वास और मानसिक शांति।
नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से मुक्ति।
जीवन में सौभाग्य और प्रगति का मार्ग प्रशस्त।
वासुकी कालसर्प दोष पूजा से संबंधित सावधानियां
पूजा के दिन सात्विक आहार लें।
मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
आचार्य के मार्गदर्शन का पालन करें।
पूजा के बाद ब्राह्मणों का आशीर्वाद लें।
निष्कर्ष
वासुकी कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन में बहुत सारी बाधाएं उत्पन्न करता है। इसको सही विधि और योग्य आचार्य के मार्गदर्शन में पूजा करने पर यह दोष नष्ट होकर जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
यदि आप वासुकी कालसर्प दोष पूजा कराना चाहते हैं, तो त्र्यंबकेश्वर (नासिक) इस पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ स्थान है। यहां के प्रसिद्ध और अनुभवी आचार्य शिवेंद्र गुरु जी इस पूजा को विधिवत और शास्त्र सम्मत तरीके से संपन्न कराते हैं। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव के कारण हजारों लोगों ने लाभ प्राप्त किया है।
अगर आप अपने जीवन से कालसर्प दोष की बाधाओं को हटाना चाहते हैं, तो शिवेंद्र गुरु जी से त्र्यंबकेश्वर में वासुकी कालसर्प दोष पूजा अवश्य करवाएं।
लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
सटीक और प्रामाणिक पूजा के लिए, शिवेंद्र गुरु जी त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित हैं। वर्षों के अनुभव और बेजोड़ आध्यात्मिक अनुशासन के साथ, वे सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक अनुष्ठान सटीकता, पवित्रता और दिव्य ऊर्जा के साथ किया जाए।
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वासुकी कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
वासुकी कालसर्प दोष किन लोगों की कुंडली में बनता है?
जब राहु पंचम भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में होंगे और सभी ग्रह इनके बीच फंसे होंगे, तब यह दोष होगा।
वासुकी कालसर्प दोष पूजा का सबसे अच्छा स्थान क्या है?
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक, महाराष्ट्र) को इस पूजा के लिए सबसे शुभ स्थान समझा जाता है।
इस पूजा की अवधि कितनी होती है?
यह पूजा आम तौर पर 2-3 घंटे तक रहती है।
पूजा में कौन-सी सामग्री होती है आवश्यक?
नाग-नागिन की चांदी की मूर्ति, दूध, शहद, बेलपत्र, फल, पुष्प, पंचामृत आदि सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
वासुकी कालसर्प दोष पूजा से क्या लाभ होता है?
शिक्षा, संतान सुख, आर्थिक लाभ, पारिवारिक सुख और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
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