ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को बहुत गंभीर दोष समझा गया है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। कालसर्प दोष बहुत से होते हैं और उनमें से एक है विशधर कालसर्प दोष। इस दोष के प्रभाव से जातक जीवन में बहुत से प्रकार की कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करता है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि विशधर कालसर्प दोष क्या है, इसके लक्षण, इसका प्रभाव, पूजा की विधि, लाभ और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न।

विशधर कालसर्प दोष क्या है?
जब राहु ग्यारहवें भाव में और केतु पाँचवें भाव में हों तथा बाकी ग्रह इनके बीच आ जाएं, तब विशधर कालसर्प दोष बनता है।
इस दोष के कारण जातक को शिक्षा, करियर, संतान सुख और समाज में प्रतिष्ठा संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
विशधर कालसर्प दोष के लक्षण
- शिक्षा में असफलता और रुकावट।
- संतान सुख में बाधा।
- मित्रों और रिश्तेदारों से धोखा या दूरी।
- आर्थिक नुकसान और उधारी।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां।
- समाज में मान-सम्मान की हानि।
- मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी।
विशधर कालसर्प दोष का प्रभाव
शिक्षा और करियर
पढ़ाई में ध्यान नहीं लगना और नौकरी-व्यवसाय में असफलता।
संतान संबंधी समस्या
संतान प्राप्ति में कठिनाई या संतान के जीवन में परेशानियाँ।
सामाजिक जीवन
समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान कम होता है।
धन हानि
आय स्थिर नहीं रहती और कर्ज़ बढ़ता है।
स्वास्थ्य बाधाएँ
अचानक बीमारियाँ और मानसिक तनाव।
विशधर कालसर्प पूजा का महत्व
विशधर कालसर्प पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और उज्जैन जैसे पवित्र स्थलों पर की जाती है।
इस पूजा के महत्व इस प्रकार हैं:
- शिक्षा और करियर में सफलता।
- संतान सुख और संतान की उन्नति।
- व्यक्तिगत जीवन में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा।
- आर्थिक स्थिरता और समृद्धि।
- स्वास्थ्य लाभ और मानसिक शांति।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास।
विशधर कालसर्प पूजा की विधि
स्नान और संकल्प
पहले स्नान करके पवित्र वस्त्र पहनें और संकल्प लें।
गणेश पूजन
विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा की जाती है।
मंत्र जाप
कालसर्प दोष निवारण मंत्रों का जाप होता है।
नाग-नागिन प्रतिमा अभिषेक
पंचामृत से नाग-नागिन की प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है।
हवन और आहुति
विशेष मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया जाता है।
आशीर्वाद
पंडित जी पूजा पूर्ण कर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
विशधर कालसर्प पूजा से मिलने वाले लाभ
शिक्षा और करियर में प्रगति।
संतान सुख और संतान की उन्नति।
समाज में मान-सम्मान और सफलता।
आर्थिक स्थिरता और समृद्धि।
मानसिक शांति और आत्मविश्वास की वृद्धि।
स्वास्थ्य लाभ और बीमारियों से बचाव।
पूजा के दौरान सावधानियाँ
- पूजा योग्य और अनुभवी पंडित से ही कराएँ।
- सात्त्विक आहार लें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पूजा के दिन नशा और मांसाहार से दूर रहें।
- पूजा के बाद दान-पुण्य करें।
- नियमित रूप से शिवजी की आराधना करें।
विशधर कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को क्या करना चाहिए?
- प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- नाग पंचमी के दिन नाग-नागिन की पूजा करें।
- शिवलिंग पर दूध और जल अर्पित करें।
- सोमवार और शनिवार का व्रत रखें।
- त्र्यंबकेश्वर की पूजा कराएँ।
निष्कर्ष
कालसर्प दोष विशधर जीवन में शिक्षा, करियर, संतान सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा में बाधाएँ उत्पन्न करता है। लेकिन अगर त्र्यंबकेश्वर जैसे पवित्र स्थल पर विधि-विधानपूर्वक पूजा कराई जाए, तब काफी हद तक कम हो जाते हैं इसके नकारात्मक प्रभाव ।
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लेखक: शिवेंद्र गुरु जी
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विशधर कालसर्प दोष पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न
विशधर कालसर्प दोष कब बनता है?
जब राहु ग्यारहवें भाव पर और केतु पाँचवें भाव पर हों और सभी ग्रह इनके मध्य आ जाएँ, तब यह दोष बनता है।
इस पूजा का सबसे श्रेष्ठ स्थान क्या है?
त्र्यंबकेश्वर (नासिक) इस पूजा के लिए सबसे शुभ और प्रभावी स्थान है।
क्या यह पूजा दोष को जीवनभर समाप्त कर देती है?
सही विधि और आस्था से की गई पूजा दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देती है।
यह पूजा संतान सुख करती है?
हाँ, यह पूजा संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति में सहायक है।
पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
शिवजी की आराधना जारी रखें और सात्त्विक जीवन जीएँ |
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